केन्द्रीय इस्पात एवं खान मंत्री और जीएसी के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का भू-भौतिकीय और भू-रासायनिक मानचित्रण पूरा करने के लिए एक समयबद्ध कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए तथा खनन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए इस आंकड़े को सार्वजनिक तौर पर साझा करना चाहिए। दिल्ली के विज्ञान भवन में भू-विज्ञान सलाहकार परिषद (जीएसी) की चौथी बैठक की अध्यक्षता करते हुए तोमर ने कहा, "भारत में तकरीबन आठ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की पहचान स्पष्ट भूगर्भीय क्षमता (ओजीपी) के रूप में की गई है। हालांकि, इसमें से एक सीमित हिस्से का ही भू-भौतिकीय और भू-रासायनिक मानचित्रण हो पाया है। चूंकि खनन क्षेत्र सीधे तौर पर देश के विकास से जुड़ा हुआ है, अत: हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का भू-भौतिकीय और भू-रासायनिक मानचित्रण पूरा करने के लिए एक समयबद्ध कार्य योजना तैयार करनी चाहिए तथा खनन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए इस आंकड़े को सार्वजनिक तौर पर साझा करना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि कार्ययोजना के तहत गति और गुणवत्ता पर विशेष जोर देना चाहिए। अपनी विशेषज्ञता एवं अनुभव के बल पर जीएसी को देश में उत्खनन गतिविधि में खासी तेजी लाने के उपायों की सिफारिश करनी चाहिए, ताकि इस संसाधन आधार का सर्वोत्तम ढंग से इस्तेमाल हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसी की सिफारिशों में ऐसे खास बिन्दुओं का उल्लेख किया जाना चाहिए, जिन पर कदम आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि चाहे नीति, कार्मिक, प्रौद्योगिकी अथवा बजट का मसला हो, सरकार इसके लिए हरसंभव सहायता देने के प्रति कटिबद्ध है।
केन्द्रीय इस्पात एवं खान राज्य मंत्री विष्णु देव साय ने परिषद के सदस्यों को भू-विज्ञान क्षेत्र में नई ऊर्जा डालने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोध एवं विकास कार्यो को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया। खनन मंत्रालय में सचिव और जीएसी के उपाध्यक्ष अनूप कुमार पुजारी, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और जीएसी के सदस्यों ने इस बैठक में शिरकत की। जीएसी प्रशासकों, भू-वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों के लिए एक खास मंच मुहैया कराती है जिससे कि वे भू-विज्ञान को आगे बढ़ाने की मौजूदा प्रणाली में निहित खामियों को दूर करने के उपाय सुझा सकें और संगठनों को व्यक्तिगत तथा सामूहिक स्तर पर भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए मार्गदर्शन कर सकें।