आज के दौर में बुजुर्गों की प्रताडऩा के मामले बढ़ते जा रहे हैं। आए दिन हम बच्चों द्वारा ही माता-पिता को त्यागने और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान करने के मामले देखते हैं। ऐसा ही एक मामला शिमला में सामने आया है। करीब 50 वर्षीय प्रताप चंद आज तीन लड़को के होते हुए भी अकेले ही जीवन जीने को मजबूर है और घर से निकाले जाने के बाद करीब 14 वर्षों से बस स्टैंड़ के फुटपाथ पर एक कंबल के सहारे जिंदगी बीता रहा है। गौर हो कि प्रताप चंद जो की जिला कांगड़ा के बैजनाथ का रहने वाला है और घरवालों के शोषण का शिकार होकर बस स्टैंड़ पर बुढ़ापे के इस पड़ाव में मेहनत मजदूरी कर अपना पेट पाल रहा है। प्रताच चंद ने बताया कि उसने अपने बच्चों और बीवी का पूरी ईमानदारी के साथ भरण पोष्ण किया और अपनी जिम्मेवारियों को पूरा किया परन्तु आज वह बुढ़ापे और बीमारी की हालत में दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है।
आज यहां गुरूद्वारा सिंह सभा ने हेल्पेज संस्था से सम्पर्क करने के बाद उसे बसंतपुर स्थित ओल्ड ऐज होम में भेज दिया है। हेल्पेज इंडिया के राज्य प्रबंधक डा. राजेश कुमार ने बताया कि संस्था के हेल्पलाईनं पर कॉल आने के बाद उनकी टीम ने तुरन्त हरकत में आते हुए बुजुर्ग को स्वास्थ्य सुविधा प्र्रदान करने के बाद उसे वृद्वाश्रम भेज दिया है। डा. राजेश ने बताया कि कोई भी जरूरतमंद बुजुर्ग संस्था के हेल्पलाईन नं 1800-180-1253 पर स पर्क करने के बाद हर संभव सहायता प्राप्त कर सकता है। गुरूद्वारा सिंह सभा के महाचिव सुरेन्द्र पाल ने बताया कि उक्त बुजुर्ग गुरूद्वारे में लगने वाले लंगर में भोजन करता है और आज उम्र के इस दौर में बच्चों और परिवार के होते हुए भी लाचार और मजबूर है। उल्लेखनीय है कि आज की भागम भाग भरी जिंदगी के बीच अधिकांश युवा करियर बनाने या आगे बढऩे की चाह में अपने जन्मदाता अपने मां बाप को भी भूलते जा रहे हैं,उनके लिए समय निकालनें में असमर्थ होते जा रहे हैं,जो कि एक गंभीर समस्या बन चुकी है। आंकड़े बताते हैं कि अन्य राज्यों की तुलना में हिमाचल प्रदेश में भी बुजुर्गों की प्रताडऩा के मामले देखने को मिल रहे हैं। भारत में बुजुर्गा की प्रताडऩा में हिमाचल प्रदेश 19 वें नंबर पर है जो कि चिंता का विषय है। गौर हो कि प्रदेश में बुजुर्गों की प्रताडऩा के मामलों में 75 फीसदी शोषण बेटों द्वारा जबकि 24 प्रतिशत शोषण बहुओं द्वारा किया जाता है।