आज की युवा पीढ़ी नशे की गर्त में फंसती जा रही है। आज नशा सबसे भयानक अभिशाप बन चुका है। हमारी युवा पीढ़ी धीरे-धीरे इसकी चपेट में आ रही है। नशा असंख्य खुशहाल घरों को उजाड़ चुका है। शहर में पिछले लंबे अर्से से नशा अपने पांव पसारता जा रहा है। नशे की जकड़ में फंसी कई बेशकिमती जिंदगियां असमय काल का ग्रास बन चुकी है लेकिन जब नशा इंसानी खून से मिलता है तो यह नशा युवाओं के लिए मजबूरी बन जाती है। फिर नशे के बंदोबस्त के लिए नशेड़ी किसी भी हद को पार करने में पीछे नहीं हटते। अपनी इन जरूरतों को पूरा करने के लिए कई नशेड़ी चोरी, डकैती, लूट व हत्या जैसी संगीन वारदातों को भी अंजाम देने से भी पीछे नहीं हटते। नशे के कारण पूरे समाज में ग्रहण लग गया है और यही कारण है कि चोरी, मारपीट, डकैती, लूट, अपहरण व हत्या जैसे अपराधों में पकड़े जाने वाले लगभग 75 प्रतिशत अपराधी नशे के शिकार पाए गए हैं। कई युवा तो यह नशा शौक के तौर पर करते हैं लेकिन जब वे लगातार इसकी चपेट में आ जाते हैं तो उनका यही शौक उनकी मजबूरी बन जाता है तथा वे इसे पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
विभाग समय-समय पर करता है छापेमारी
यह कहना उचित नहीं होगा कि स्वास्थ्य विभाग इन कई प्रकार के नशों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता वह समय-समय पर कैमिस्टों की दुकानों में छापामारी करते हैं तथा अवैध पाए जाने पर उनका लाइसैंस तक कैंसल कर दिया जाता है लेकिन शहर में कुछ दुकानदार लालचवश ये काला कारोबार कर रहे हैं।
नशे का बढ़ता कारोबार
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बनी कई दुकानों, शौचालयों व अन्य जगहों पर नशेडिय़ों को छिपकर नशा लेते देखा जा सकता है। कई तरह के नशे देखने को मिलते हैं जिसको जो आसानी से मिल रहा है वह उसी से काम चला रहा है। इन नशेडिय़ों ने नशे करने के कई तरीके ढूंढ लिए हैं कोई रूमाल पर कैमिकल छिड़क कर सूंघ रहा है तो कोई पंक्चर लगाने वाले सोल्यूशन को सूंघ कर नशा कर रहा है, वहीं कुछेक तो खाद्य पदार्थों के साथ कुछ कैमिकल वाली दवाइयों को नशे के रूप में अपना रहे हैं। इन नशेडिय़ों को नशे की ये दवाइयां और इंजैक्शन आसानी से कैमिस्ट की दुकान पर मिल जाती हैं।
युवाओं का भविष्य अंधकार में
दूसरी ओर स्मैक का नशा भी युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेल रहा है। यह नशा अब बड़े स्तर पर युवाओं द्वारा किया जा रहा है। जैसे ही कोई भी इंसान एक बार इस नशे को करता है तो यह नशा उसकी रगों में दौडऩे लग जाता है। जिसके बाद ये उसकी मजबूरी बन जाता है और इस नशे को करने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को मजबूर हो जाता है।
नशे के खिलाफ अभियान चलाने की जरूरत
नशे की ये समस्या अपना विकराल रूप ले इससे पहले पुलिस प्रशासन को सचेत हो जाना चाहिए और इन नशों पर लगाम कसने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिएं और इसके साथ ही समय-समय पर स्कूलों, कालेजों और सार्वजनिक स्थानों पर जागरूकता अभियान भी चलाने चाहिएं ताकि आने वाली पीढ़ी को पहले ही इन नशों के नुक्सान से अवगत करवाया जा सके।
जरूरत पूरी करने के लिए करते हैं अपराध
ऐसा नहीं है कि पुलिस प्रशासन इसकी ओर ध्यान नहीं दे रहा। वह समय-समय पर अवैध जगहों पर छापामारी करते रहते हैं तथा नशे के अवैध धंधे को रोकने के प्रयास करती है। स्मैक के नशा और तस्करी भी बड़े स्तर पर शहर में हो रही है और ये नशेड़ी नशे की जरूरत को करने के लिए चैन स्नैचिंग और लूटपाट जैसी घटनाओं को अंजाम देते हुए भी पीछे नहीं रहते। जिसके कारण अब इन घटनाओं में भी काफी बढ़ौतरी हो रही है।
अब स्कूल-कॉलेज के छात्रों को खुलेआम मिलने लगा नशा
जवानी की दहलीज पर कदम रखने वाला युवा मौज-मस्ती के लिए पहले बीयर की बोतल हाथ में लेता था लेकिन अब यह बीते जमाने की बात होने लगी है। अब युवा नशे की गिरफ्त में आने लगा है। एक अनुमान के मुताबिक करनाल का रहने वाला युवाओं का एक बड़ा वर्ग इस समय नशे की चपेट में है। नशा खुलेआम मिलने लगा है। यहां तक स्कूल और कालेज में पढऩे वाले छात्र भी इस नशे की गिरफ्त में आ गए है। कई तरह के नशों का प्रयोग कर युवा वर्ग अपने भविष्य का 'नाश कर रहा है। जिससे देश का भविष्य भी खतरे में है। हालत यह हो गई है कि पैसे न मिलने की सूरत में नशे की गिरफ्त में आया युवा अब अपराध की ओर अग्रसर होने लगा है।
पिछले 2 सालों की यदि बात करें तो करनाल में 300 से भी अधिक चेन स्नैङ्क्षचग की वारदातें घटित हो चुकी हैं। हालांकि जितने भी चेन स्नैचर पकड़े गए वे पेशेबर पाए गए लेकिन कुछ चेन स्नैचर ऐसे भी सामने आए हैं जिन्होंने चेन स्नैङ्क्षचग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए न चाहते हुए भी की। सूत्र बताते हैं कि पिछले 2 सालों से जिस तेजी से नशे का कारोबार बढ़ रहा है वह अब पुलिस की पकड़ से भी बाहर होता जा रहा है। यह बताने की जरूरत नहीं है कि नशे का यह कारोबार पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है। रामनगर, प्रेमनगर, लाइनपार इलाके के अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ सदर बाजार क्षेत्र तथा अन्य इलाकों में नशे का कारोबार बड़ी तेजी से फैल रहा है। हैरोइन, स्मैक, चरस, गांजा, चूरापोस्त व अन्य नशीले पदार्थों को हासिल करने के लिए भारी मशक्कत नहीं करनी पड़ती क्योंकि सौदागर खुलेआम घूमते हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस ने इस कारोबार को रोकने का प्रयास नहीं किया हो बल्कि एस.पी. से लेकर डी.एस.पी. रैंक तक के अधिकारी नशे के कारोबारियों के पीछे लगे रहे। कुछ सफलता भी हाथ लगी लेकिन जब पुलिस विभाग के दूसरे लोगों ने इन कारोबारियों से हाथ मिलाया तो नशे का कारोबार भी आसान हो गया। आप जानकर हैरान होंगे कि जब पुलिस इन कारोबारियों पर रेड मारने की योजना बनाती है तो यह प्लाङ्क्षनग पहले ही कारोबारियों तक पहुंच जाती है और कारोबारिए अगल-बगल होकर पुलिस की उम्मीदों पर पानी फेर देते हैं।
क्या होता है इस नशे का असर
यह नशा महंगा होता है। जब लत लग जाती है तो इसकी खुराक बढ़ जाती है। धीरे-धीरे दिमाग सुन्न होने लगता है और भूख गायब हो जाती है। यदि नशा न मिले तो पेट में दर्द, चक्कर आना और घबराहट पैदा होती है। इस सूरत में नशेड़ी को यदि नशा न मिले तो वह ठीक नहीं होता। इसके अलावा धीरे-धीरे वह नार्मल काम करना भी छोड़ देता है। जब खुराक अधिक बढ़ जाती है तो पैसे न होने की सूरत में नशेड़ी अपराध की ओर जाता है। 10 से 15 सालों के बीच लीवर और किडनी के साथ-साथ शरीर के अन्य अंग भी स्थिर पड़ जाते हैं और नतीजे में मिलती है केवल मौत।