Monday, 27 March 2023

 

 

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टांडा में आंखों का इलाज डगमगा गया

Web Admin

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5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा )

धर्मशाला , 07 Mar 2013

प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े मेडिकल कालेज टांडा में आंखों का इलाज डगमगा गया है। पिछले एक दशक में न तो अस्पताल में आई बैंक स्थापित हो पाया और न ही इस मसले पर कोई कार्रवाई हो सकी। ऐसे में लोगों को नई जिंदगी देने वाले टांडा की आंखें अंधी ही रह गई हैं, हालांकि सरकार ने टीएमसी की आंखों को रोशनी देने के लिए गत वर्ष प्रदेश का दूसरा आई बैंक टीएमसी में स्थापित करने की घोषणा तो की थी, लेकिन इसे अंजाम तक पहुंचाने में सरकार व प्रशासन नाकाम ही रहा। आलम यह है कि टांडा मेडिकल कालेज में आंखों का इलाज पूरी तरह डगमगाता नजर आ रहा है। करोड़ों रुपए की लागत से बने टांडा अस्पताल में बनाए गए विभिन्न विभागों में जहां आधुनिक मशीनरी और नई टेक्नोलॉजी से लोगों की बीमारियों का इलाज करने का दावा किया जाता है। वहीं, आंखों को रोशनी देने के मामले में टांडा के अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं। ऐसे में टीएमसी के प्रशासन की भी कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक टांडा में आई बैंक को स्थापित करने के लिए पूर्व सरकार ने कुछ बजट भी योजना की शुरुआत करने के लिए मुहैया करवाया था। बावजूद इसके टीएमसी में इस बैंक की नींव तक नहीं रखी गई। आई बैंक के टांडा में बन जाने से जहां लोगों की आंखों का सस्ता और उचित इलाज आसानी से हो सकता था, वहीं किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को डोनेट की गई आंखों को भी सर्जरी के माध्यम से लगाया जा सकता था। इन सुविधाओं के अभाव के कारण न तो टांडा संपूर्ण मेडिकल संस्थान बन पा रहा है और न ही एम्स की तर्ज पर दिख रहा है। टीएमसी के अधिकारी इस बात को मानते हैं और यह कहते हैं कि इस विषय पर सरकार ही आगामी कार्रवाई कर सकती है। इससे पहले इकलौता प्रदेश का सरकारी आई बैंक  टीएमसी के आंखों के विभाग के एचओडी डा. राजीव तुली का कहना है कि इस मसले पर कुछ समय पहले एक विशेष बैठक की गई थी। इस बैठक में ही बैंक का प्रारूप तैयार करने और इसमें आने वाले खर्चे का ब्यौरे के बारे में चर्चा की गई थी।

 

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