शिवरात्री पर्व के उपलक्ष्य में श्री बाबा तारा कुटिया चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रानियां रोड स्थित श्री बाबा तारा जी की कुटिया में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन का शुभारंभ कुटिया के मुख्य सेवक गोबिंद कांडा ने बाबा तारा के चित्र के समक्ष ज्योत प्रज्जवलित करके किया। इस अवसर पर बाहर से आए कलाकारों ने कृष्ण जन्म की ऐसी भव्य झांकी प्रस्तुत की जिसे देखकर सभी भक्तगण भाव विभोर होकर खुशी से झूमने लगे। कुटिया के मुख्य सेवक गोबिंद कांडा व उनके परिवार के सदस्यों सहित हजारों श्रद्धालु बाहर से आए हुए कलाकारों द्वारा मंचित कृष्ण जन्म के सुंदर दृश्य को देख राधे-राधे और जय श्री कृष्ण के गगनभेदी उद्घोष कर एक दूसरे को बधाईयां देने लगे। इस अवसर पर वृंदावन के गोपियों की तरह वेशभूषा रखे कलाकारों ने सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया। इससे पहले कलाकारों ने श्रीराम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघन की मनमोहक झांकी प्रस्तुत की। इस अवसर पर वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य श्री गौरव कृष्ण जी महाराज ने सुंदर शब्दों में श्रीमद्भागवत कथा वाचन करते हुए राजा बाली और वामन भगवान व भक्त प्रह्लाद के प्रसंग का सुंदर वर्णन करते हुए आचार्य जी ने कहा कि भगवान अपने भक्त को अपनी शरण में लेकर उसको उपकृत करते हैं और भगवान की इच्छा के बिना कुछ नहीं होता और भगवान अपने भक्तों की समय-समय पर परीक्षा लेते रहते हैं। परंतु जिसने अपना तन-मन भगवान को अर्पित कर दिया है। वह बिना घबराए प्रभु की भक्ति में लीन रहता है।
आचार्य गौरव कृष्ण जी ने कहा कि जो लोग दूसरों में दोष निकालते है, वह वास्तव में अनजाने में ही घोर पाप के भागीदार बनते हैं। क्योंकि कहा 'बुरा देखन मैं चला, बुरा मिलया ना कोई, अपने अंदर झांक के देखा, मुझसे बुरा न कोए। इसलिए दूसरों में दोष निकालने की बजाए आत्म मंथन कर अपनी बुराईयों को ढूंढकर दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ईष्र्या व निंदा करने में समय व्यर्थ गंवाने की बजाए सत्संग में जाकर भगवान का नाम लेना चाहिए। जिससे मानव का कल्याण निश्चित है। आचार्य जी ने कहा कि अब भक्तगण तारकेश्वर धाम में चल रही भागवत में ही नहीं बल्कि सीधे बाबा तारा और बांके बिहारी जी के चरणों में बैठे हैं। आचार्य जी ने कहा कि भगवान की कृपा के बिना मनुष्य भजन भी नहीं कर पाता। परंतु जो भक्त प्रभु की भक्ति में पूरी तरह लीन हो जाता है तो परमात्मा को स्वयं उसके पास चलकर आना पड़ता है। कथा विश्राम पर नरेश सिड़ाना ने बाबा तारा की आरती गाई तथा सभी तारा बाबा भक्तों ने श्री बाबा तारा जी के चित्र के समक्ष शीश झुकाकर उनकी वंदना की।