केंद्र से 90 10 अनुपात में आर्थिक सहायता का आग्रह
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5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)
शिमला , 19 Feb 2013
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य तथा बागवानी मंत्री श्रीमती विद्या स्टोक्स ने केंद्र सरकार से अन्य विकास कार्यक्रमों के अन्तर्गत भारत सरकार की नीति के अनुसार प्रदेश को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्युपी) के तहत 90रू10 अनुपात में आर्थिक सहायता प्रदान करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा प्राप्त है, लेकिन इस योजना के तहत अभी भी 50रू50 अनुपात में आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। श्रीमती स्टोक्स आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में ग्रामीण पेयजल पर राज्यों के साथ राष्ट्रीय परामर्श के अवसर पर बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ग्रामीण जनसंख्या दूर-दूर तक फैली है। प्रदेश में 60 लाख से अधिक की जनसंख्या को 8411 जलापूर्ति योजनाओं के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवाया जा रहा है। ज्यादातर योजनाएं स्थानीय जल स्रोतों पर ही आधारित हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्रोत पर्यावरण बदलावों से प्रभावित होते हैं। इसके दृष्टिगत उन्होंने जल स्रोतों के संवर्द्धन की आवश्यक पर बल दिया। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बड़े स्रोतों पर आधारित मेगा जलापूर्ति योजनाओं के निर्माण प्रस्तावित किया हैं। 13वें आयोग द्वारा स्वीकृत 150 करोड़ रुपये के अनुदान से प्रदेश में तीन ऐसी परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से आठ और मेगा जलापूर्ति योजनाओं के निर्माण के लिए 165 करोड़ रुपये स्वीकृत करने का आग्रह किया, जिनसे लगभग 1.50 लाख जनसंख्या लाभान्वित होगी। श्रीमती स्टोक्स ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मार्च, 2012 तक कुल 53201 बस्तियों में से 42476 बस्तियों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की सुविधा प्रदान की है। इस वित्त वर्ष के दौरान 2530 बस्तियों को यह सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत शेष बची बस्तियों को मार्च, 2017 तक यह सुविधा प्रदान कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 89.5 प्रतिशत जनसंख्या नल से पेयजल का उपयोग कर रही है, जबकि 2001 की जनगणना के अनुसार यह 84.1 प्रतिशत थी। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार पानी के संरक्षण के लिए प्रयासरत है और इसके लिए सरकारी भवनों, संस्थानागत भवनों, होटलों और औद्योगिक इकाइयों के भवनों में वर्षा जल संग्रहण प्रणाली विकसित करने को अनिवार्य बनाया गया है। भूमिगत जल के समुचित उपयोग पर विशेष बल दिया जा रहा है और प्रदेश सरकार ने इसके लिए भू-जल अधिनियम लागू किया गया है ताकि पानी की प्राकृतिक आपूर्ति और भूमिगत जल के मध्य संतुलन सुनिश्चित बनाया जा सके।