वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने कहा कि प्रदेश में ईको-टूरिजम की अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश में ईको-टूरिजम को बढ़ावा देने के लिए सरकार अनेक सुविधाएं उपलब्ध करवा रही हैं। श्री भरमौरी आज यहां ईको-टूरिजम को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।वन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में ईको-टूरिजम को बढ़ावा देकर पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित बनाया जाएगा कि राज्य के बहुमूल्य पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। उन्होंने कहा कि ईको-टूरिजम के तहत प्रदेश में 23 पर्यटक स्थल चिन्हित किए गए हैं, जहां विशेष सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। इन स्थलों पर पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाएं जैसे खान-पान, साफ-सफाई, नियंत्रित परिवहन सुविधा, टूरिस्ट गाईड आदि की सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्थानीय युवाओं का भी सहयोग लिया जाएगा। स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए कौशल विकास भत्ता योजना और मनरेगा जैसी योजनाओं से धनराशि उपलब्ध करवाने की संभावनाओं का पता लगाया जाएगा। भरमौरी ने ईको-टूरिजम सर्किट तय करने की आवश्कयता पर भी बल दिया ताकि विभिन्न स्थानों पर पर्यटकों की आवाजाही सुनिश्चित बनाई जा सके। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को इस सम्बन्ध में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
उन्होंने साहसिक और धार्मिक पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्रदेश वन निगम द्वारा नारकंडा और जलोड़ी में नेचर कैंप संचालित किए जा रहे हैं।प्रदेश वन विकास निगम के उपाध्यक्ष श्री केवल सिंह पठानिया ने इस अवसर पर प्रदेश में ईको-टूरिजम को बढ़ावा देने के लिए परामर्शदाता तैनात करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस सम्बन्ध में उन्होंने बैंगलूरू के ईको-टूरिजम मॉडल तथा उत्तरांचल में ईको-टूरिजम के लिए तैयार की गई अधोसंरचना के अध्ययन का भी सुझाव दिया ताकि प्रदेश में भी ईको-टूरिजम को बढ़ावा मिल सके। प्रधान सचिव वन श्री तरूण श्रीधर, प्रधान मुख्य अरण्यपाल एवं हैड ऑफ फारेस्ट फोरस श्री आर.के. गुप्ता, प्रबन्ध निदेशक, वन विकास निगम श्री जे.एस. वालिया, प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन्य प्राणी) डॉ. ललित मोहन, अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल श्री अवतार सिंह, अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल श्री एस.एस. नेगी तथा विभाग के अन्य अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।