केंद्रीय सड़क यातायात, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि उनका मंत्रालय गंगा नदी के किनारे परिवहन और पर्यटन की सुविधाओं का विकास करने के लिए पर्यावरण और वन, पर्यटन, ऊर्जा और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरूद्धार आदि मंत्रालयों के साथ सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए इन मंत्रालयों के सचिव एक संयुक्त कार्यक्रम बना सकते हैं। श्री गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय सड़क और जहाजरानी दोनों क्षेत्रों में परियोजनाओं के तेजी से क्रियान्वयन के प्रयास करेगा जिसमें देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अपने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि सभी परियोजनाओं को पूरी पारदर्शिता के साथ ई-गवर्नेंस प्रणाली के जरिए मंजूरी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस समय कुछ पश्चिमी देशों में वाहनों में इस्तेमाल हो रहे ई-85 इंजनों को हमारे देश में भी लाने की संभावना तलाशी जा रही है। इन इंजनों में 85 प्रतिशत इथेनॉल और 15 प्रतिशत पेट्रोल का इस्तेमाल होता है। मंत्री महोदय ने बताया कि इथेनॉल चीनी मिलों के बचे हुए और अवशिष्ट उत्पादों से बनता है। इससे देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि अपने मंत्रालय के अधिकारियों से कंक्रीट और तारकोल से सड़कें बनाने और रख-रखाव पर आने वाले खर्च पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय के कामकाज में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की तकनीकी और मानक लागू किए जाएंगे।
गडकरी ने सस्ते और पर्यावरण अनुकूल परिवहन के लिए देश के विभिन्न जलमार्गों और तटीय जल मार्गों के इस्तेमाल की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली में बने वाहनों को तटीय जलमार्ग से गुजरात से चेन्नई ले जाया जा सकता है और चेन्नई में बने वाहनों को उसी मार्ग से वापस उत्तरी क्षेत्रों में भेजा जा सकता है। उनका मंत्रालय तटीय परिवहन को 7 से 20 प्रतिशत बढ़ाने की संभावनाओं को तलाशेगा। अपने मंत्रालय का पदभार संभालने के बाद श्री गडकरी पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात करने गए। बाद में वह पूर्व गृहमंत्री श्री एल. के. आडवाणी से मिलने गए जहां मुलाकात के दौरान गंगा में परिवहन व्यवस्था को विकसित करने पर भी चर्चा हुई।