Friday, 31 March 2023

 

 

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वीरभद्र सिंह ने 20,000 मतों के रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज कराई

वीरभद्र सिंह

Web Admin

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5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)

शिमला , 20 Dec 2012

पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके कांग्रेस के वीरभद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में लगभग 20,000 मतों के रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज कराई। निर्वाचन अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के ईश्वर रोहल को शिमला (ग्रामीण) विधानसभा सीट पर पराजित किया. व्यापक तौर पर मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में देखे जा रहे वीरभद्र सिंह को 28,892 वोट हासिल हुए, जबकि रोहल को 8,892 वोट मिले. वीरभद्र ने इस नई विधानसभा सीट से इसलिए चुनाव लड़ा था, क्योंकि शिमला जिले की उनकी परम्परागत सीट रोहरू इस बार दलितों के लिए आरक्षित हो गई थी। उन्होंने अपने राजनैतिक कौशल का लोहा अब मनवा लिया है।   रामपुर रियासत के राजखानदान से ताल्लुक रखने वाले केन्द्रीय मंत्री हिमाचल के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह ने राजनीतिक जीवन में अपने पचास साल पूरे  कर लिए हैं। सक्रिय राजनीति में अपने पचास साल पूरे करने पर वीरभद्र सिंह ने इस लम्बे सफल राजनीतिक जीवन के लिए कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा और प्रदेश की जनता के स्नेह और प्यार का नतीजा बताते रहे हैं।  काबिलेगौर है कि वीरभद्र सिंह ने 30 जनवरी, 1962 को दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी और इससे दो दिन पहले ही उन्हें कांग्रेस ने महासू से अपना संसदीय उम्मीदवार घोषित कर दिया था। वीरभद्र सिंह दावा करते हैं कि उन्होंने अपने 50 साल के लम्बे राजनीतिक जीवन में एक घंटे के लिए भी कांग्रेस नहीं छोड़ी और न ही उन्हें कभी ऐसा करने का विचार उनके मन में आया। वह मानते हैं कि कांग्रेस के प्रति उनकी निष्ठा का ही प्रतिफल है कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के साथ ही तीन बार केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला।  बकौल उनके  आज लगभग सभी राजनीतिक दलों में आया राम, गया राम का अत्यधिक चलन हो गया है लेकिन उन्हें कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि उन्हें कांग्रेस में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ मौकों पर पार्टी नेताओं से मतभेद जरूर हुए लेकिन कभी भी किसी से मनभेद नहीं हुआ। यही कारण है कि वह पांच बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने। वीरभद्र सिंह मानते हैं कि प्रदेश की जनता ने उन्हें बहुत प्यार दिया है और अगर वह पांच जन्म भी लेते हैं तो भी इस प्यार का ऋण नहीं चुका सकते। वीरभद्र सिंह की अपनी एक शख्सियत है। हिमाचल प्रदेश में वाई एस परमार के बाद वही एक ऐसे राजनेता हैं। जिन्हें जनता का पूरा प्यार व समर्थन मिलता रहा है। हालांकि वह 78 साल के हो गये हैं, लेकिन आज भी उनमें वही ऊर्जा बरकार है जो शायद इस उम्र के शख्स में न हो। सब जानते हैं कि कुछ साल पहले भी ऐसे ही हालात पैदा हुये थे। जब नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे व सुखराम संचार मंत्री। केन्द्र की पुरजोर कोशिश थी कि सुखराम प्रदेश की कमान संभालें। इसके लिये एक फार्मूला बनाया गया।जिसके तहत सुखराम की सिफारिश पर भी कुछ लोागों को टिकट मिली। लेकिन चुनावों में जीतने वालों की तादाद वीरभद्र समर्थकों की अधिक थी।लिहाजा वीरभद्र सिंह बाजी मार ले गये। पिछले चुनावों में भी यही हाल हुआ कुछ हल्कों वीरभद्र विरोधी कांग्रेस टिकट ले गये। वहां उनकी जमानतें ही जब्त हो गईं। जबकि कांग्रेस से बगावत करने वाले नेताओं को अच्दे खासे वोट मिले। देखना होगा कांग्रेस आलाकमान कांग्रेस की कमान उन्हें देती है या नहीं। 

 

Tags: virbhadra singh

 

 

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