जाति पाति के दिन- प्रतिदिन बढ़ रही दरार पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए पंजाब विधानसभा के स्पीकर स. चरणजीत सिंह अटवाल ने कहा है कि समाज को घुन्न की तरह लगा जाति-पाति का खप्पा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इससे अधिक स्तिम जरीफी यह है कि ऐसा गंभीर मुद्दा समाज के उन गैर संजीदा और स्वार्थी लोगों का हाथ है जो समाज को उन्नति के सम्मुख इस मुद्दे का हल होता नही देख सकते। नई दिल्ली के फिक्की अडीटोरियम में समूचे भारत के दलित संगठनों की राष्ट्रीय कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होने सुझाव दिया कि इस दरार को पूरा करने के लिए लोगो को प्राथमिकता शिक्षा प्रदान करनी अनिवार्य है ताकि समाज के दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमें प्रारम्भिक शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि कोई भी देश प्रारम्भिक शिक्षा को मज़बूत किए बिना तरक्की करने संबंधी सोच भी नही सकता। नेशनल कान्फ्रेंस ऑफ दलित आर्गीनाईजेशन (नेकडोर) द्वारा करवाई गई कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए स. अटवाल ने कहा कि चाहे सरकार द्वारा प्राईमरी शिक्षा को कई सरकारी स्कीमों द्वारा लागू करने के प्रयास किए जा रहें हैं किंतु यह स्कीमें दबे-कुचले लोगों, अमीर वर्ग के आर्थिक स्तर और कुछ खास वर्गो के सामाजिक स्थितियों के मद्देनज़र सही मायनों में लागू नही हो रही। उन्होंने कहा कि गरीब वर्गो के लिए बनने वाली स्कीमों को लागू करने के लिए स्त्रोतों की कमी और मज़बूत राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण स्कीमें धरी धरी रह जाती हैं। स. अटवाल ने कहा कि आरक्षण की नीति के पीछे मुख्य धारणा सामाजिक विकास की रफतार में पीछे रह गये लोगों और जाति पाति से ग्रस्त समाज के कमज़ोर चरित्र के कारण मुख्य धारा से अलग हो गये लोगों को कुछ सीमा तक राहत देकर मुख्य धारा में वापिस लाना है परंतु नौकरियों में कोटा प्रणाली और आरक्षण विरूद्ध सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर काफी विरोधता झेलनी पढ़ रही है। कान्फ्रेंस को श्री लुईस जार्ज ऑरसेनालट, कंटरी हैड, यूनिसेफ (इंडिया) श्री मुस्सा मुहम्मद, कंटरी डायरैक्टर केयर इंडिया और श्री अशोक भारती चेयरमेन, नेशनल कान्फ्रेंस ऑफ दलित आर्गीनाईजेशन (नेकडोर) के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों ने भी संबोधन किया।