जी टी रोड पर बने सरकारी रेस्ट हाऊस मे दिन दहाडे महिला से रेप की घटना को 72 घण्टे के करीब होने को है, मगर पुलिस अभी तक आरोपी तक तो क्या उस महिला तक नही पहुंच पाई जिसने पीडित महिला को आरोपी से मिलवाया था। प्रशासन अभी तक नाकामयाब साबित हो रहा है। दूसरी तरफ लोगों मे इस घटना को लेकर उत्सुकता है कि लाल बत्ती की कार का मालिक कौन है ,किस की थी कार ,क्या लाल बत्ती की कारों की आड मे आरोपी बचते रहेंगे। क्योंकि अब लाल बत्ती भी कुछ सीमित वी आई पी ही लगा सकते हैं। चर्चा है कि कही यह लाल बत्ती गैर कानूनी तो नही थी। सरकारी भवनो मे क्या इस तरह की घटना को अंजाम दिये जाने से सभ्य,ईमानदार वी आई पी ,ेसे रेस्ट हाऊस पर आने से नही कतरा,,ंगे।
किसके फोन पर खुला कमरा-चंडीगढ़ से जुड़े वीआईपी रूम खोलने के तार
,क्स ई ,न योगेश मेहरा के अनुसार कि उनके पास चंडीगढ़ से किसी मंत्री के पी, का फोन आया था। इसमें उन्होंने पवन के लि, घरौंडा रेस्ट हाउस में वीआईपी कमरा खुलवाने की बात कही थी। अब देखना यह है कि पवन के तार चंडीगढ़ में किस मंत्री से जुड़े हैं और उसके पी, ने किस कार्य को लेकर ,,क्सई,न को कमरा खुलवाने के आदेश दि, थे।बिना परमिट के वी आई पी कमरा खुलना कहां तक ठीक था। जबकी पी डब्लयू डी विभाग के किसी अधिकारी को यह तक जानकारी नही थी कि कमरा किसके लि, खुलवाया जा रहा है।चपडासी फतेह सिह के अनुसार कि ,स डी ओ के आदेश पर कमरा खोला गया। ,स डी ओ जगदीश दहिया का कहना है कि ,क्स.ई.,न. के फोन आदेश पर कमरा खुलवाया गया था।
आदेश फोन पर होते रहे पर कौन आ रहा है पता नही-
यानी कुल मिला कर देखा जा, तो उच्चाधिकारीयों तक सूचना रही कि कोई आ रहा है ओर कमरा खुलवाया जा, मगर हैरानी है कि किसी को ये मालूम क्यों नही कि कमरा किस के लि, खुलवा रहै हैं। मजेदार बात ये है कि अगले ही दिन से ,क्स ई ,न साहब छुट्टी पर चले ग,। कमरा खुला, कहीं कोई ,ंट्री नही ,यहां तक की गाडी का नम्बर तक भी नोट नही किया गया। चर्चा रही कि कहीं कर्मचारीयों को ,ेसे भी मौखिक आदेश तो नही थे कि किसी को इस गाडी के यहां आने के बारे पता नही चलना चाहि,, जिसे छुपाने की कौशिश की जा रही हों। प्रशासन द्वारा अभी तक किसी अधिकारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही न किये जाने से प्रशासन की भूमिका पर सवाल खडे होना भी लाजमी है। जबकी डी सी महोदय इस मामले को गम्भीरता से लेते नजर आ रहे हैं। उन्होने ,स पी से मामले की फाईल मंगवाकर पूरे मामले की जांच करवाने की बात कही है।
क्या कहते हैं परमिट लेने के नियम-
नियमानुसार रैस्ट हाऊस मे कमरा लेने जिला मुख्यालय स्थित पी डब्लयू डी विभाग के ,क्स.ई.,न कार्यालय मे आवेदन करना पडता है उसके बाद अधिक्षक कार्यालय से रैस्ट हाऊस के नाम परमिट जारी किया जाता है, फिर इसी परमिट के आधार पर कमरे की अलाटमैंट की जाती है। फिर इसके बाद रजिस्टर मे चैक इन व आऊट का समय तक दर्ज किया जाता है।
कोई परमिट जारी नही हुआ- अधिक्षक
मगर हैरानी है कि इस मामले मे सारे नियमो को ताक पर रखा गया। अधिक्षक संजय का कहना है कि घटना के दिन के लि, या उससे ,क दिन पहले कोई परमिट जारी नही किया गया। यहां प्रश्न उठता है कि जब स्टाफ के कर्मचारी आगन्तुक के बारे मे ,उसकी पोस्ट या हैसियत के बारे मे जानते तक नही तो उसके लि, कमरा खुला कैसे। अगर जानते भी है तो वे प्रशासन की मदद क्यूं नही करना चाहते। वही दूसरी तरफ ,सडीओ का तर्क है कि दिन के समय रैस्ट करने के लि, परमिट की जरूरत नही होती। मगर दिन मे भी आने जाने वालों की ,ंट्री तक भी ना हो। क्या ये सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक साबित नही हो सकता है।
लाल बत्ती की सफेद रंग की थी कार
घटना वाले दिन डयूटी पर तैनात फतेह सिह को ,सडीओ के फोन के बाद करीब सांय 4 बजे सफे द रंग की लाल बत्ती वाली गाडी रैस्ट हाऊस मे आती है जिसमे दो व्यक्ति सवार हैं। ,क व्यक्ति ने ,सडीओ के फोन का हवाला देकर फतेह सिह से कमरा खुलवा लिया। फतेह सिह के अनुसार कार मे सफेद रंग के पर्दे लगे थे। कर्मचारी के ब्यानो के बाद पुलिस कार की तलाश मे जुट गई।
जल्द पकडा जा,गा आरोपी
पुलिस के मुताबिक दो टीमो पर गठन कर टीमे अलग अलग ठिकानो पर छापामारी मे जुटी है। जल्द ही आरोपी पुलिस की गिरफत मे होगें।
डीसी करेंगे जांच
डीसी बलराज सिंह के अनुसार पुलिस मामले की जांच मे जुटी है। ओर रेस्ट हाऊस मे वीआईपी कमरा खुलने की जांच ,सपी से फाईल मंगवाकर करके कार्यवाही की जा,गी।