अपना घर होने के बावजूद भी अगर किसी को वहीं पर किराये के मकान में रहना पड़े तो इससे ज्यादा दुखदायी स्थिति और क्या हो सकती है। जी हां, कुल्लू जिला मुख्यालय पर सैंकड़ों लोग ऐसे हैं जिनका यहीं पर अपना मकान तो है पर वह उसमें रह नहीं पा रहे हैं। नगर नियोजन महकमे के तानाशाही नियमों के कारण सैंकड़ों लोग किराये पर क्वार्टरों में रहने को मजबूर हो गए हैं। नगर नियोजन विभाग के नियमों के अनुसार घर न बनाने की सजा उन्हें इस रूप में मिल रही है कि अपना घर होते हुए भी बेघर हैं और भारी भरकम किराया देकर अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। नगर नियोजन विभाग के कड़े नियमों की पालन करना बेहद मुश्किल है जिस कारण लोगों में आक्रोश भी उभरा है और अब एक मंच पर आकर टाऊन प्लानिंग एक्ट में संशोधन की मांग करने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार कुल्लू शहर में आसपास के क्षेत्रों में इस समय करीब 300 से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिन्होंने एक मंजिला तथा कईयों ने पूरा घर तैयार कर लिया है परंतु उन्हें अब बिजली पानी का कनैक्शन लेने के लिए नगर नियोजन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है। लोगों की मानें तो करीब 5-6 सालों से वे एन.ओ.सी. की मांग कर रहे हैं लेकिन उनके आवेदन को रद्द किया जाता है। लोगों का तर्क है कि जो नियम नगर नियोजन विभाग ने बनाए हैं उसके अन्तर्गत कुल्लू जैसे पहाड़ी जिला में घर बनाना बड़ा मुश्किल है। खासकर जिला मुख्यालय कुल्लू में कई लोगों ने अपने पुश्तैनी घर को डिस्मेंटल करके नया घर बनाया है लेकिन अब कड़े नियमों के आगे उनका घर पूरा होने से पहले ही अधूरा छूट गया है। हालत यह है कि उन्हें निर्माण कार्य को अधूरा छोड़कर किराए के कमरे लेकर रहना पड़ रहा है क्योंकि विभाग ने पानी व बिजली लगाने के लिए अपनी अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं दे रहा है, वहीं दूसरी ओर कई लोगों ने घर का कार्य पूर्ण भी करवाया हुआ है और वे सालों से एन.ओ.सी. के लिए आवेदन कर रहे हैं। एन.ओ.सी. के लिए नगर नियोजन विभाग के कई बार चक्कर काट चुके चतर ङ्क्षसह, लाल ङ्क्षसह, धनी राम, छापे राम, यशवंत, चैन ङ्क्षसह, टशी डोलमा, छप्पे राम, बलवीर ङ्क्षसह राणा व धनी राम आदि का कहना है कि हम लोगों ने अपने जीवन भर की पूंजी से घर बनाया है लेकिन उसमें रहने का अभी तक मौका नहीं मिला है। इन्होंने कहा कि ऐसी हालत रही तो वे आने वाले समय में आंदोलन करने से भी गुरेज नहीं करेंगे।
क्यों आ रही परेशानी
नगर नियोजन विभाग के नियमों के अनुसार पहाड़ी जगह पर घर बनाने से पहले उसे समतल करना होगा तथा घर के तीन हिस्सों में दो मीटर और फ्रंट से तीन मीटर की जगह छोडऩी होगी। इसके अलावा अगर घर के सामने से कोई भी सड़क गुजरती है तो उसके लिए 4 फुट रास्ता छोडऩा होगा। वस्तुस्थिति यह है कि कई लोगों के पास इतनी जगह छोडऩे के बाद घर बनाने के लिए जगह ही नहीं बच रह रही है और जिन लोगों ने पहले से ही घर बना लिए हैं वे शोपीस बन गए हैं। कारण यह है कि बगैर एन.ओ.सी. के वहां पर बिजली-पानी की सुविधा नहीं दी जा रही है। ऐसे में लोग इन घरों में नहीं रह पाएंगे।
शिमला की तर्ज पर मिले राहत
एन.ओ.सी. आवेदकों का कहना है कि जिस प्रकार शिमला को पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण टाऊन प्लानिंग के नियमों में राहत दी गई है, उसी तर्ज पर कुल्लू जिला को भी लाभ मिलना चाहिए। कुल्लू के अनेकों क्षेत्र भी इसी तरह के हैं तथा लोग भारी पैसा खर्च करके घर बना चुके हैं।
संशोधन होगा तो मिलेगी एन.ओ.सी.
नगर नियोजन अधिकारी कुल्लू दिनेश गुलेरिया का कहना है कि 300 से ज्यादा लोगों के आवेदन रद्द किए गए हैं क्योंकि उन्होंने नियमों के अनुसार घर नहीं बनाए हैं। जब तक एक्ट में संशोधन में नहीं होता है तब तक राहत मिलना मुश्किल है। सरकार की तरफ से कोई अधिसूचना आएगी तभी जाकर एन.ओ.सी. प्रदान की जा सकती है।