हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि देश के बंटवारे के समय जिन लोगों ने नरंसहार की त्रासदी को झेला उनकी पीड़ा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2021 को लाल किले की प्राचीर से घोषणा की थी कि विभाजन के समय कुर्बानी देने वाले लोगों की याद में स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जायेगा।
इसी कड़ी में आज हरियाणा सरकार ने इस दिन को 'संत-महापुरुष विचार सम्मान एवं प्रसार योजना' के तहत राज्य स्तरीय कार्यक्रम के रूप में मनाने की शुरुआत कुरुक्षेत्र से की है। मुख्यमंत्री आज जिला कुरुक्षेत्र में पंचनद स्मारक ट्रस्ट, कुरुक्षेत्र द्वारा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
श्री नायब सिंह सैनी ने भारत के विभाजन के बाद हुए रक्तपात में मारे गए पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैं परमपिता परमात्मा से यही कामना करता हूँ कि उस तरह का नरसंहार दुनिया के किसी भी भू-भाग में न हो। भारत का विभाजन एक ऐसी त्रासदी है, जिस पर आजादी के बाद का लगभग आधा साहित्य भरा पड़ा है। विभाजन की पीड़ा को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 14 अगस्त का दिन भारत के बंटवारे का दुखद दिन है। वर्ष 1947 में भारत की आजादी की प्रक्रिया चल रही थी तो आज के दिन भारत माता की छाती पर लकीर खींच कर देश का विभाजन भी किया गया था। इस तरह हमें आजादी की भारी कीमत चुकानी पड़ी। हमारा देश तो बंट ही गया, दोनों तरफ के करोड़ों लोग उजड़ गए तथा लाखों लोग दंगों में मारे भी गए। माताओं-बहनों पर अत्याचार किए गए। आज भी उस मंजर को याद करके मानवता की रूह कांप जाती है।
उन्होंने कहा कि आज इस कार्यक्रम में विभाजन के दौरान हुई त्रासदी पर बनाई गई लघु फिल्म को देखकर हमें इतनी पीड़ा हो रही है, तो जिन लोगों ने उस त्रासदी को झेला है, उन पर क्या बीती होगी। जब कभी अपने बड़े बुजुर्गों से सुनी वे घटनाएं मानस पटल पर दृश्य बनकर उभर आती हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। क्या वीभत्स दृश्य होगा जब लोगों को अपनी पुश्तैनी जमीनों, कारोबारों और बसे-बसाए घरों को एक झटके में छोड़कर जाना पड़ा। मजहबी उन्माद से बचते-बचाते अनजान राहों पर मीलों पैदल चलकर रोजी-रोटी के नए आसरे तलाश करने पड़े।
उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि भारत माँ के उन वीर सपूतों ने किसी का भय नहीं माना, किसी लालच में नहीं आए और अपने देश, धर्म व स्वाभिमान को तरजीह देते हुए दर-दर की ठोकरें खाना स्वीकार किया। भूखे-प्यासे खाली हाथ मेहनत की और फिर से अपने आशियाने बसाए। यही नहीं जहां गए वहां की खुशहाली और समृद्धि में उल्लेखनीय योगदान दिया। अपनी मेहनत से उस इलाके को आर्थिक रूप से समृद्ध करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि उन परिवारों ने और उनकी नई पीढ़ियों ने हरियाणा के विकास में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। आज हम जो विकसित हरियाणा देख रहे हैं, इसे बनाने में उन मेहनतकश लोगों द्वारा बहाए गए पसीने का बड़ा योगदान है। यही नहीं वे देश के जिस भी कोने में बसे हुए हैं, उस क्षेत्र में विशेष समृद्धि आई है और इसका श्रेय उनकी देशभक्ति, ईमानदारी, निष्ठा एवं लगन को जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दिन हमें भाईचारे का संदेश देने के साथ-साथ यह भी याद दिलाता है कि सामाजिक एकता के सूत्र टूटते हैं तो देश भी टूट जाया करते हैं। प्रधानमंत्री ने इस दिन को मनाने की घोषणा इसी उद्देश्य से की थी कि भारतवासी अपने इतिहास से सबक लें और स्वर्णिम भविष्य के लिए राष्ट्र की एकता के प्रति समर्पित हों। हरियाणा की इस भूमि ने बंटवारे के दर्द को कुछ अधिक ही सहन किया है। यहां से अनेक परिवार पाकिस्तान तो गए ही, उस समय के पश्चिमी पंजाब से उजड़कर आने वाले परिवारों की संख्या भी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है।
कुरुक्षेत्र के गांव मसाना में बन रहा है देश का विश्व स्तरीय शहीदी स्मारक
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाजन की इन्हीं यादों को बनाए रखने और नई पीढ़ियों को आपसी प्यार व सद्भाव की सीख देने के लिए कुरुक्षेत्र जिले के गांव मसाना में देश का विश्व स्तरीय शहीदी स्मारक बनाया जा रहा है। इस स्मारक पर लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके लिए पंचनद स्मारक ट्रस्ट ने 25 एकड़ भूमि सरकार को दान के रूप में दी है। मुख्यमंत्री ने स्मारक के लिए अपने स्वैच्छिक कोष से 51 लाख रुपये के अनुदान देने की घोषणा की। इसी तरह झज्जर में भी एक स्मृति चौक बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि पंचनद स्मारक ट्रस्ट ने वर्ष 2010 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक हमारे पूर्वजों की याद बनाए रखने के लिए ठोस प्रयास किए हैं। बंटवारे के समय हमारे 10 लाख पूर्वज उस विभीषिका के शिकार हुए थे। उनका विधिवत अंतिम संस्कार भी नहीं किया जा सका था। उनकी आत्मा की शांति के लिए पंचनद स्मारक ट्रस्ट ने वर्ष 2016 में गया तीर्थ पर जाकर सामूहिक पिंडदान किया था।
उन्होंने विभाजन की विभीषिका में जान गंवाने वाले अपने पूर्वजों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए लोगों से अपील की कि हम सभी उस त्रासदी से सबक लेते हुए प्रेम, प्यार और भाईचारे को मजबूत करने का संकल्प लें।कार्यक्रम में शहरी स्थानीय निकाय राज्य मंत्री श्री सुभाष सुधा ने अपने संबोधन में कहा कि बंटवारे के दर्द झेलने वाले लोग, जो अपना सब कुछ छोड़कर आ गए थे लेकिन उन्होंने अपना धर्म नहीं बदला, उनकी याद में स्मारक बनाने के लिए 2006 से हम लगे हुए हैं।
इस मौके पर पंचनद स्मारक ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी धर्मदेव जी महाराज ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल तथा गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज का संदेश भी पढ़कर सुनाया गया। इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती सीमा त्रिखा, विधायक श्री लक्ष्मण नापा, श्री घनश्याम दास अरोड़ा, पूर्व मंत्री श्री मनीष ग्रोवर, महंत चरणदास, तरूण दास महाराज, महंत महेशगिरि सहित पंचनद स्मारक ट्रस्ट के सभी पदाधिकारी उपस्थित रहे।
Chief Minister Nayab Singh Saini pays tribute to the victims of the Partition at the Partition Horrors Remembrance Day
A world-class Shaheedi Samarak is being constructed in the village of Masana in Kurukshetra
Kurukshetra
Haryana Chief Minister, Sh. Nayab Singh Saini said that the suffering endured by those who experienced the horrors of the country's partition can never be forgotten. Considering their pains, Prime Minister, Sh. Narendra Modi, on August 15, 2021, had announced from the Red Fort that August 14 would be observed as Partition Horrors Remembrance Day to honor those who sacrificed during the partition.
In line with this, today the Haryana government has begun observing this day as a state-level event under the 'Saint Mahapurush Samman Evam Vichar Prachar Prasar Yojana from Kurukshetra, said Sh. Nayab Singh Saini.The Chief Minister was speaking as the chief guest at the state-level event organized by the Panchanand Memorial Trust in Kurukshetra district on Partition Horrors Remembrance Day.
Sh. Nayab Singh Saini, paying tribute to those who were killed in the bloodshed following India's partition, said that he prays to the Almighty that such unfortunate incidents never occur anywhere in the world. The partition of India is a tragedy about which almost half of the post-independence literature is filled. The pain of the partition can never be forgotten, he said.
The Chief Minister said that August 14 is a sorrowful day for the partition of India. In 1947, while the process of India's independence was ongoing, the country was also divided . Thus, we had to pay a heavy price for independence. Not only was our country divided, but lakhs of people on both sides were displaced and many were killed in the riots. Atrocities were committed against mothers and sisters.
Even today, remembering that scene makes humanity shudder.The Chief Minister said that watching a short film on the tragedy of partition during today’s program causes us great pain, so one can only imagine what those who endured the tragedy experienced.
When incidents heard from our elders emerge vividly in our minds, it sends chills down our spine. What a horrific sight it must have been for people to leave their ancestral lands, businesses, and settled homes in one stroke. They had to walk miles on unknown paths, fleeing religious fanaticism, in search of new means of livelihood, said Sh. Nayab Singh Saini.
He expressed pride that the brave sons of ‘Maa Bharti’ did not fear anyone, did not succumb to greed, and prioritized their country, religion, and self-respect, accepting hardships and rebuilding their homes from scratch. They contributed significantly to the prosperity and well-being of the areas where they settled. Their hard work played a crucial role in economically enriching those regions, said Sh. Nayab Singh Saini.
The Chief Minister said that these families and their new generations have also played a notable role in Haryana's development. The developed Haryana we see today owes much to the sweat of those hard working people. No matter where they settled in the country, their region experienced particular prosperity, thanks to their patriotism, honesty, dedication, and commitment, said Sh. Nayab Singh Saini.
The Chief Minister said that this day not only conveys a message of brotherhood but also reminds us that when the threads of social unity break, the country can also be torn apart. The Prime Minister's announcement of observing this day was intended for Indians to learn from history and commit to national unity for a golden future. The land of Haryana has endured the pain of partition more than others. Many families from here went to Pakistan, and the number of families displaced from Western Punjab at that time is higher compared to other states, said Sh. Nayab Singh.
A world-class Shaheedi Samarak is being constructed in the village of Masana in Kurukshetra
The Chief Minister said that a world-class Shaheedi Samarak is being built in the village of Masana in Kurukshetra to preserve the memories of the partition and teach the new generations about mutual love and harmony. Approximately Rs. 200 crores will be spent on this memorial.
The Panchanand Memorial Trust has donated 25 acres of land for this purpose. Similarly, a memorial chowk has also been established in Jhajjar. The Chief Minister announced a grant of Rs. 51 lakhs from his discretionary fund for the Shaheedi Samarak.
He added that since its establishment in 2010, the Panchanand Memorial Trust has made great efforts to keep the memory of our ancestors alive. During the partition, 1 lakh of our ancestors fell victim to that horror. They could not even receive a proper last rites. For the peace of their souls, the Panchanad Memorial Trust conducted a collective pind-daan at Gaya Tirth in 2016.
Offering heartfelt tributes to those who lost their lives in the partition horrors, he appealed to people to learn from that tragedy and resolve to strengthen love, affection, and brotherhood.Speaking on the occasion, Urban Local Bodies State Minister, Sh. Subhash Sudha said that efforts to build a Shaheedi Samarak for those who suffered the pain of partition, leaving everything behind but not changing their religion, began in 2006.
On this occasion, Swami Dharmdev Ji Maharaj, National President of the Panchanand Memorial Trust, also addressed the program. Messages from Union Energy Minister and former Haryana Chief Minister Sh. Manohar Lal, and Gita Manishi Swami Gyananand Ji were also read out.
Minister of State for Education, Smt. Seema Trikha, MLAs, Sh. Lakshman Napa, Sh. Ghanshyam Das Arora, former minister, Sh. Manish Grover, Mahant Charandas, Tarun Das Maharaj, Mahant Maheshgiri, and all office bearers of the Panchanand Memorial Trust were present at the event.