शिरोमणी अकाली दल की वरिष्ठ नेता और बठिंडा सांसद बीबा हरसिमरत कौर बादल ने आज केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी से पंजाब में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को दिए जाने वाले राशन की खरीद और आपूर्ति में किए जा रहे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच शुरू कराने का आग्रह किया है।
अखिल भारतीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रधान बीबी हरगोबिंद कौर के साथ केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करने के बाद बठिंडा सांसद ने कहा कि आगंनवाड़ी कार्यकर्ता केंद्र सरकार के एकीकृत बाल स्वास्थ्य देखभाल (आईसीएच) कार्यक्रम और अन्य संबंधित पहलों के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं और शिशुओं को आपूर्ति की जारी घटिया खाद्य सामग्री के खिलाफ आंदोलन कर रही हैं।
बीबा बादल ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि जबसे आम आदमी पार्टी की सरकार सत्ता में आई है, तब से इस योजना के तहत खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए निजी अनाज की दुकानों को लगाया गया है, जिससे बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होने कहा कि सरकार ने काॅपरेटिव संस्था वेरका से दूध पाउडर, घी और पंजीरी की आपूर्ति की जिम्मेदारी छीनकर एक निजी ब्लैक लिस्टेड कंपनी को दे दी है ।
उन्होने कहा कि जांच में यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि खाद्य पदार्थों की आूपर्ति का ठेका वेरका से क्यों छीना गया, जो सालों से संतोषजनक उत्पाद आपूर्ति कर रही थी। उन्होने कहा कि साथ ही इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि आईसीडीएस कार्यक्रम के तहत प्राप्त धन को 150 करोड़ रूपये बढ़ाकर 300 करोड़ रूपये करने के लिए फर्जी सूची बनाकर लाभार्थियों की संख्या को दोगुना कैसे किया गया।
बीबा बादल ने कहा कि इस योजना के तहत माताओं और बच्चों को घटिया उत्पाद दिए जा रहे हैं, जो उनकी जिंदगी से खिलवाड़ है। उन्होने कहा कि केवल सीबीआई जांच से ही पूरे घोटाला उजागर हो सकता है। उन्होने कहा क्योंकि लाभार्थियों की कोई गलती नही, इसीलिए योजना को बंद नही किया जाना चाहिए, लेकिन भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार लोगों, जिनमें आप के पदाधिकारी भी शामिल हैं, उन्हे दंडित किया जाना चाहिए।
बठिंडा सांसद ने इस अवसर पर अखिल भारतीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रधान बीबी हरगोबिंद कौर के उत्पीड़न का भी मुददा उठाया। उन्होने कहा कि पूरे घोटाले को उजागर करने के बाद आंगनवाड़ी अध्यक्ष को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उन्होने कहा कि इसी कारण से एक सीडीपीओ को निलंबित किया गया था। उन्होने कहा कि इस तरह के दमनकारी उपाय करने के बजाय, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों की सेवाओं को नियमित करने के प्रयास किए जाने चाहिए, जिन्हे क्रमशः 4500 रूपये और 2200 रूपये प्रति माह वेतन मिल रहा है।