उपायुक्त राजौरी, विकास कुंडल ने कृषि, पशु और भेड़पालन विभागों के कामकाज की समीक्षा हेतु एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई।बैठक में विभिन्न प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला गया और कृषि विकास के प्रति जिले की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया गया।बैठक के दौरान, इस बात पर प्रकाश डाला गया कि खरीफ सीजन के लिए आवश्यक 5600 क्विंटल बीज के मुकाबले 4900 क्विंटल का पर्याप्त स्टॉक विभिन्न पंचायतों और ब्लॉकों में भंडारित किया गया है।
उपायुक्त ने पर्याप्त मात्रा में बीज और उर्वरक की उपलब्धता पर संतोष व्यक्त किया, जिससे निर्बाध कृषि संचालन सुनिश्चित हो सके। मुख्य कृषि अधिकारी ने खरीफ के तहत कुल कृषि योग्य भूमि क्षेत्र का जायजा लेते हुए बताया कि 51,500 हेक्टेयर कृषि खेती के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा, ‘‘40500 हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है, इसके बाद 5000 हेक्टेयर में धान, 2000 हेक्टेयर में दाल, 4000 हेक्टेयर में चारा और 100 हेक्टेयर में तिलहन होता है।‘‘
इसके अतिरिक्त, बाजरा को समर्पित वर्ष के अनुरूप, विभाग की 600 हेक्टेयर भूमि पर मुफ्त बीज वितरण के साथ बाजरा पेश करने की योजना है। बाजरा, कोदो, फिंगर बाजरा और फॉक्सटेल सहित चार प्रकार के बाजरा पेश किए जाएंगे।उपायुक्त ने जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की। उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि किसानों को पर्याप्त रूप से षामिल किया जाए और योजना के लाभों के बारे में सूचित किया जाए।
उच्च गुणवत्ता वाले बीजों और उर्वरकों के प्रावधान को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया। डीसी ने कृषि विभाग को निर्धारित मानकों को पूरा करने वाले बेहतर बीजों की उपलब्धता की गारंटी के लिए सभी आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए। इसके अलावा, उपायुक्त ने जोर देकर कहा कि विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीज और उर्वरक सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर बेचे जाएं, जिससे किसानों पर बोझ डालने वाली किसी भी अनुचित प्रथा को रोका जा सके।
बैठक में जिले में बीज वितरण के लिए अधोसंरचना पर भी प्रकाश डाला गया। यह पता चला कि 150 कृषि बीज भंडारों का एक प्रभावशाली नेटवर्क है, जिसमें प्रत्येक दुकान दो पंचायतों की जरूरतों को पूरा करती है। यह मजबूत वितरण नेटवर्क पूरे क्षेत्र में किसानों के लिए गुणवत्तापूर्ण बीजों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करता है, कुशल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है और उत्पादकता को अधिकतम करता है।
उपायुक्त ने समग्र कृषि विकास कार्यक्रम के तहत प्रगति की भी समीक्षा की और हितधारकों को एसएचजीएस, सहकारी समितियों और किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया ताकि लाभ कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके।इसी तरह उपायुक्त ने जिले में पशु एवं भेड़पालन विभाग की विभिन्न योजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की।