गुजरात राज्य में दुनिया की पहली फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) ने 'फॉरेंसिक हैकाथॉन 2023 और कॉन्फ्रेंस' का आयोजन किया, जहां एलपीयू के तीन शोधकर्ताओं ने आपराधिक जांच और अनुसंधान में नवीनतम फोरेंसिक प्रथाओं को आगे बढ़ाया, जिसकी सभी ने सराहना की। जिस विषय पर विचार किया गया था वह "इनोवेशन और रिसर्च के माध्यम से जांच को बढ़ावा देना: एक अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण"।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय के संरक्षण में फॉरेंसिक साइंस सर्विसेज निदेशालय (डीएफएसएस) के सहयोग से चार दिवसीय हैकाथॉन और 25वां अखिल भारतीय फोरेंसिक साइंस कॉन्फ्रेंस (एआईएफएससी-2023) को एनएफएसयू, गांधीनगर परिसर, गुजरात में आयोजित किया गया था।एलपीयू के पीएचडी स्कॉलर्स में से एक, अनुराधा संधू ने 'प्रो-एक्टिव फॉरेंसिक जांच के लिए एडवांस एडसॉर्बेंट मटेरियल' पर अपना महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुत किया।
इसे समय की आवश्यकता के रूप में लेते हुए, सुश्री संधू ने साझा किया कि सुपर 'नॉवेल ग्रीन हाइड्रोजेल' निश्चित रूप से अपराध स्थल पर प्राप्त सबूतों के संग्रह, पहचान और संरक्षण के एक उपकरण के रूप में काम करेगा। इसके अलावा, यह कम लागत वाली, पर्यावरण के अनुकूल, संभालने में आसान और कुशल है।
इन जैल में अत्यधिक ट्यून करने योग्य गुण होते हैं और इन्हें उन्नत और संवेदनशील सेंसर में ट्यून किया जा सकता है। पोस्टर प्रस्तुति के दौरान, उन्होंने बताया कि इस जैल का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें सेंसिंग तकनीक, फिंगर प्रिंटिंग, पर्यावरण, खाद्य फोरेंसिक आदि शामिल हैं।
एक अन्य पीएचडी स्कॉलर , अदिति शर्मा ने साझा किया कि स्मार्ट सामग्री (नैनोजैल) में गुणों और अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है। अन्य कोलाइड्स से भिन्न, इनका उपयोग विभिन्न प्रकार के फोरेंसिक अनुप्रयोगों में किया जाता है। ये भविष्य में गैर-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक, पारंपरिक सेंसर, बारकोड और इम्प्लांट्स को भी बदल सकते हैं।
बीएससी प्रथम वर्ष के जूनियर शोधकर्ता शुभम सैनी ने मौखिक रूप से अपना प्रोजेक्ट "निर्दोष-एक भविष्य परिप्रेक्ष्य" प्रस्तुत किया जिसके लिए सभी ने खड़े होकर तालियां बजाई। उन्होंने उन लोगों के लिए आवाज उठाई जो गलत तरीके से सजा पाते हैं, और न्याय न मिलने पर आत्महत्या करने पर भी विचार कर सकते हैं।
उनकी परियोजना आशा की एक किरण प्रदान करती है। उन्होंने गलत सजा और निर्दोषता के दावों और अन्याय को ठीक करने में फोरेंसिक की भूमिका के बारे में पूरी तरह से महसूस किया और सभी से साझा किया । तीनों शोधकर्ताओं को विभाग की प्रोफेसर डॉ तेजस्वी पांडे द्वारा कुशलतापूर्वक गाइड किया गया था।सम्मेलन सैकड़ों फॉरेंसिक विज्ञान प्रोफेशनल्स, वैज्ञानिकों, आपराधिक न्याय वितरण प्रणाली के हितधारकों, अंतरराष्ट्रीय और भारतीय प्रतिष्ठित डोमेन और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों और टीचर्ज़ को एक साथ सामने लाया।
फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में 25 वर्षों की विरासत के साथ, सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में भारत और विदेशों के प्रतिष्ठित पुलिस अधिकारियों, वैज्ञानिकों की बातचीत के माध्यम से फोरेंसिक विज्ञान में वैश्विक विशेषज्ञता और तकनीकी इन्नोवेशंस को प्रदर्शित किया गया। इसमें फोरेंसिक विज्ञान के छह अलग-अलग डोमेन पर 100 से अधिक वैज्ञानिक पोस्टर और मौखिक प्रस्तुतियां भी पेश की गईं थीं।