उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आज जम्मू में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रेरक पुस्तक ‘एग्जाम वारियर्स‘ का हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में विमोचन किया। उल्लेखनीय है कि इस पथ-प्रवर्तक, बेस्टसेलिंग पुस्तक ‘एग्जाम वॉरियर्स‘ में, माननीय प्रधान मंत्री ने परीक्षा के लिए एक ताजा दृष्टिकोण की रूपरेखा दी है, जिसमें सभी से उत्साह और उल्लास के साथ परीक्षा को एक त्योहार की तरह मनाने का आग्रह किया गया है।
उपराज्यपाल ने जिले भर के छात्रों और शिक्षकों के साथ आभासी बातचीत करते हुए कहा कि माननीय प्रधान मंत्री द्वारा इस पुस्तक में दिए गए 34 मंत्र केवल पढ़ने और याद करने के लिए नहीं हैं, बल्कि हम सभी को उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए ताकि परीक्षा उत्सव का अवसर बने न कि तनाव का।
उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए माननीय पीएम के 34 मंत्र परीक्षा के तनाव को दूर करेंगे और चिंता एवं तनाव से निपटने हेतु बोर्ड परीक्षा देने वाले परीक्षा योद्धाओं की मदद करेंगे।‘‘ उपराज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक युवा उम्मीदवारों की निरंतर साथी होनी चाहिए।
शिक्षा केवल बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा के बारे में नहीं है। शिक्षा हमें जीवन और अन्य मनुष्यों के प्रति करुणा और आनंद विकसित करने के तरीके सिखाती है। उपराज्यपाल ने 2018 से हर साल आयोजित होने वाले वार्षिक कार्यक्रम ‘परीक्षा पे चर्चा‘ के बारे में भी बात की, जिसमें माननीय प्रधान मंत्री देश भर के छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत करते हैं।
यह एक आंदोलन है जो माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के छात्रों, माता-पिता, शिक्षकों और समाज को एक साथ लाने के प्रयासों से प्रेरित है ताकि एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा दिया जा सके जहां प्रत्येक बच्चे की अनूठी व्यक्तित्व को मनाया जाता है, प्रोत्साहित किया जाता है और खुद को पूरी तरह से अभिव्यक्त करने की अनुमति दी जाती है।
उपराज्यपाल ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि उसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 मिली है। उपराज्यपाल ने शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों से कहा कि इसे अक्षरशः लागू करना हम सभी की जिम्मेदारी है। जम्मू-कश्मीर में स्कूली शिक्षा विभाग की कई महत्वपूर्ण पहलों के साथ सही दिशा में जा रही है जैसे ड्रॉपआउट अनुपात को कम करना, नामांकन दर में वृद्धि करना आदि।
उन्होंने कहा कि हमें नवोन्मेषी हस्तक्षेपों के साथ छात्रों को एक आदर्श शिक्षा देने के लिए काम करना जारी रखना चाहिए। मेरा मानना है कि शिक्षा किसी भी छात्र के मानसिक और आध्यात्मिक विकास का माध्यम है। जीवन भर हम कुछ न कुछ सीखते रहते हैं और इस दिशा में देखा जाए तो परीक्षा मंजिल नहीं, मंच है।
बच्चों को उन महान हस्तियों के बारे में भी सीखना चाहिए जिन्होंने देश के निर्माण और पोषण में योगदान दिया है। उपराज्यपाल ने स्कूलों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। प्रधान सचिव स्कूल शिक्षा विभाग आलोक कुमार, निदेशक स्कूल शिक्षा जम्मू डॉ. रवि शंकर शर्मा, निदेशक स्कूल शिक्षा कश्मीर श्री तसद्दुक मीर, परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा दीप राज कनेठिया, जिला प्रशासन और स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से और वर्चुअल मोड के माध्यम से उपस्थित थे।