केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भारत में 2023 में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर आज एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में कौशल विकास और एमईआईटीवाई राज्य मंत्री श्री राजीव चन्द्रशेखर, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक के दौरान, श्री प्रधान ने कहा कि जी20 में शिक्षा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक है। उन्होंने जी20 बैठक से पहले व्यापक तैयारियों का आह्वान किया और कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी20 बैठक यह साझा करने का अवसर भी है कि भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में, विशेष रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बाद क्या हासिल किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत शिक्षा का एक नया मॉडल पेश करेगा जो सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक वैश्विक मॉडल हो सकता है। उन्होंने सम्मेलन की शानदार सफलता के लिए छात्रों, शैक्षणिक और कौशल संस्थानों को शामिल करने का आह्वान किया। उन्होंने भारतीय ज्ञान प्रणालियों की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने और प्रतिभागियों को विश्व में भारत के योगदान से अवगत कराने का भी सुझाव दिया।
शिक्षा कार्य समूह जी20 शिक्षा मंत्रियों की 28 जून 2023 को होने वाली बैठक के लिए शिक्षा और टीवीईटी में डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका और काम के भविष्य पर सेमिनार आयोजित करेगा। शिक्षा कार्य समूह जी 20 एडडब्ल्यूजी रिपोर्ट, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के सार-संग्रह और जी20 शिक्षा मंत्रियों के घोषणापत्र के लिए सेमिनार के दो विषयों पर एक रिपोर्ट के साथ सामने आएगा।
प्राथमिकता वाले विभिन्न क्षेत्रों में एनसीईआरटी, आईआईएससी, एनएसडीसी, आईआईटी मद्रास, आईआईटी हैदराबाद, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, यूनेस्को, यूनिसेफ, ओईसीडी आदि जैसे संस्थान ज्ञान भागीदार हैं।इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत 1 दिसम्बर 2022 से जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करने जा रहा है और देश भर में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। शिक्षा के तहत प्राथमिकता वाले चार क्षेत्र हैं:
1. विशेष रूप से मिश्रित शिक्षा के संदर्भ में मूलभूत साक्षरता और गणना सुनिश्चित करना।
2. काम के भविष्य के संदर्भ में आजीवन सीखने को बढ़ावा देने वाली क्षमता निर्माण
3. हर स्तर पर तकनीकी सक्षम शिक्षा को अधिक समावेशी, गुणात्मक और सहयोगी बनाना
4. समृद्ध सहयोग के माध्यम से अनुसंधान को मजबूत करना, नवाचार को बढ़ावा देना।