उत्तराखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों के मामले में एक बार फिर प्रदेश की राजनीति गर्मा गयी है। इसी मामले पर प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत ने बड़ा बयान दिया है। हरीश रावत ने कहा है कि भले ही नियमों के आधार पर भर्तियां हुई हो लेकिन अगर कोई भी असरदार व्यक्ति जो नियुक्ति करने वाले को प्रभावित कर सकते हैं और उनके द्वारा अपने कुटुंब के लोगों को नौकरी दी गई है।
तो भले ही ये नियमों से हुई नियुक्ति हो लेकिन न्याय संगत नहीं हैं इसलिए असरदार लोगों द्वारा लगाई गई इन तमाम भर्तियों को रद्द कर देना चाहिए। उनके अनुसार मैं इसमें कुंजवाल जी के दौर मे हुई भर्ती हो या फिर किसी और के दौर में हुई भर्ती हो सबको रद्द किया जाना चाहिए।
उनके अनुसार कार्रवाई हो तो एक सामान हो ना की किसी के गले में तलवार लटका दी जाए और किसी के गले में माला पहनाई जाए। उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने विधानसभा भर्तियों के मामले को लेकर कहा कि उनकी सरकार में स्पीकर रहे गोविंद सिंह कुंजवाल के दौरान हुई भर्तियों और प्रेमचंद अग्रवाल के स्पीकर रहते हुए भर्तियों में काफी अंतर है।
हरीश रावत ने कहा है कि हमारी सरकार के दौरान विधानसभा में जो भर्तियां हुई हैं। उसमें सभी विभागों का परामर्श लिया गया था। वित्त की स्वीकृति ली गई थी। जबकि भाजपा के समय में प्रेमचंद अग्रवाल की स्पीकर रहते हुए यह कार्य नहीं हुए।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा है कि विधानसभा स्पीकर रहे गोविंद सिंह कुंजवाल की यही गलती है। कि उन्होंने अपने बेटे और बहू के आवेदन को भी स्वीकार किया है। उन्होंने स्थानीय युवाओं को मौका दिया जबकि प्रेमचंद अग्रवाल में राज्य के बाहर के भी लोगों को बड़े पैमाने पर मौका मिला है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सभी विधान सभा अध्यक्षों के कार्यकाल की जांच करानी चाहिये।