हरियाणा में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। हिसार जिला के भगाना गांव कीे दलित युवतियों से बलात्कार मामले में हिसार जिला में अभी भी तनाव बना हुआ है। जिसके खिलाफ दिल्ली तक धरने प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं करनाल में भी अम्बाला की रहने वाली एक दलित युवती की गरीबी, लाचारी व बीमारी का फायदा उठा कर करनाल के एक नामी सर्राफ रमेश द्वारा नौकरी का झांसा देकर उसे अपनी हवस का शिकार बनाने का मामला सामने आया है।
17 अप्रैल को दिया घटना को अंजाम
मामले को उजागर करते हुए विधिक एवं सामाजिक सुधारों के लिए आंदोलनरत सामाजिक संस्था फाइट फॉर जस्टिस आफ इंडिया के चेयरमैन एडवोकेट हरीश आर्य ने प्रैस वार्ता कर बताया कि युवती के साथ 17 अप्रैल को घटना को अंजाम दिया गया। युवती की शिकायत पर थाना शहर करनाल द्वारा 18 अप्रैल को बलात्कार एवं जान से मारने संबंधी धाराओं सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि अम्बाला की रहने वाली बिन बाप की बेटी जिसके दिल में छेद भी है। जिसे नौकरी का झांसा देकर करनाल बुलाया गया था।
मामला दबाने के प्रयास
पत्थर दिल पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद परिजनों को सूचित करने की जगह मामला दबाने के प्रयास के चलते पीडि़ता को नारी निकेतन भेज दिया । इससे पहले कि पीडि़ता के परिजन पीडि़ता से संपर्क कर पाते पुलिस ने राजीनामा का दबाव बनाकर पीडि़ता के 164 सीआरपीसी धारा के तहत मैजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज भी कराने चाहे। न्यायिक मैजिस्ट्रेट रजनी कौशल द्वारा पीडि़ता की हालत को देखते हुए पुलिस को बैरंग लोटा दिया गया लेकिन आरोपी के प्रभावशाली एवं ऊंची पहुंच के चलते पुलिस ने एक दिन बाद फिर से 164 के बयान दर्ज कराने की दरखास्त केार्ट में लगा दी। मामले की पैरवी कर रहे एडवोकेट हरीश आर्य ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस दोषी के साथ साज बाज हो चुकी थी इसलिए पुलिस को 164 के बयान दर्ज कराने की जल्दी थी लेकिन पुलिस ने पीडि़ता के परिजनों को संपर्क करने की जहमत नहीं उठाई। पीडि़ता के बालिग होने के बावजूद भी सवैंधानिक अधिकारों का हनन करते हुए प्रशासन की मिलीभगत से पीडि़ता को नारी निकेतन भेज दिया गया। जहां पीडि़ता के साथ मारपीट की गई।
मां से भी नहीं मिलने दिया
एडवोकेट आर्य ने कहा कि हद तो तब हुई जब बड़ी मशक्कत के बाद पीडि़ता की मां ने अपनी लड़की को पुलिस हिरासत में देखा और अपनी बेटी से मिलने की गुहार लगाई तो पुलिस द्वारा पीडि़ता को उसकी मां से भी नहीं मिलने दिया गया मजबूरन पीडि़ता की मां को सीजेएम अमित गर्ग की कोर्ट में लड़की से मिलने व उसकी कस्टड़ी की दरखास्त लगानी पड़ी। जिसे मंजूर करते हुए न्यायलय द्वारा पीडि़ता की कस्टडी उसकी मां को सौंपी गई।
मेडिकल जांच करने से इंकार
एडवोकेट आर्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि सारा प्रशासन आरोपी को बचाने में जुटा हुआ था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीडि़ता के साथ हुई मारपीट की मेडिकल जांच नहीं होने दी गई। पीडि़ता को जब कल्पना चावला मेडिकल कालेज लाया गया तो ट्रामा सैंटर नियुक्त डाक्टर ने पीडि़ता की मेडिकल जांच करने से इंकार कर दिया।