फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर में दर्ज मामले पर मोहम्मद जुबैर को अंतरिम जमानत दी है। अदालत ने जुबैर को इस शर्त पर बेल दी है कि वह मामले से जुड़ा कोई ट्वीट नहीं करेंगे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जुबैर न तो बेंगलुरु न ही कहीं और, इलेक्ट्रॉनिक सबूत मिटाने की कोशिश करेंगे। SC का अंतरिम आदेश केवल सीतापुर वाले मुकदमे पर आया है। इसका दिल्ली वाले केस से कोई लेना-देना नहीं है। मतलब जुबैर रिहा नहीं हो पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जुबैर के खिलाफ दिल्ली में भी FIR दर्ज है। उन्हें दिल्ली आकर सरेंडर करना होगा।
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उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि “अगर जुबैर इतने अच्छे इंसान होते तो उन्हें ट्वीट नहीं करना चाहिए था। वह यूपी पुलिस को चिट्ठी लिखते। लेकिन, उन्होंने इस तरह का ट्वीट कर अपराध किया है। अगर उन्हें जमानत मिल जाती है तो वह बेंगलुरु में सबूत नष्ट कर सकते हैं।”
ASG एसवी राजू ने ये भी कहा कि अदालत को इस बारे में मैं विस्तार से जानकारी दूंगा। उन्होंने कहा कि जुबैर के खिलाफ सेक्शन 295 लागू होता है। कई संतों के खिलाफ जुबैर ने भड़काऊ और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किए हैं।
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आपको बता दें कि जुबैर को दिल्ली पुलिस ने 27 जून को धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले ट्वीट के मामले में गिरफ्तार किया था। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120 बी (आपराधिक साजिश) और 201 (सबूत नष्ट करना) तथा विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 के प्रावधान भी लगाए हैं।