जम्मू कश्मीर पुलिस पदकों को लेकर सरकार ने सोमवार को बड़ा ऐलान किया। सरकार ने वीरता और सेवा के लिए दिए जाने वाले इन पदकों पर से शेख अब्दुल्ला की तस्वीर को हटाने का फैसला किया है। अब इस पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ लगाया जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शेख अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री थे। सरकार के इस फैसले के बाद ट्विटर पर बवाल खड़ा हो गया है। यूजर्स सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और शेख अब्दुल्ला को शेर ए कश्मीर कहकर याद कर रहे हैं।पदकों पर अशोक स्तंभ के चिह्न लगाने के बाबत गृह विभाग से आदेश जारी किये गए। इससे पहले सरकार ने शेर ए कश्मीर पुलिस पदक का नाम बदलकर जम्मू कश्मीर पुलिस पदक कर दिया था।
सरकार के इस फैसले को राजनीति से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। शेर-ए-कश्मीर शेख अब्दुल्ला को कहा जाता था। उनके समर्थक उन्हें इसी नाम से बुलाते थे। शेर-ए-कश्मीर के नाम पर राज्य भर में कई अस्पताल, स्टेडियम, सड़कें और कई अन्य इमारते हैं। शेख अब्दुल्ला, जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के दादा और फारूक अब्दुल्ला के पिता थे। वे राज्य के पहले सीएम भी थे। जब फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने अपने पिता की याद में पुलिसकर्मियों को दिए जाने वाले पदकों पर उनकी तस्वीर लगा दी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शेख अब्दुल्ला का जन्म 5 दिसंबर 1905 को हुआ था और उनका निधन 8 सितंबर 1982 को हुआ था।
शेख अब्दुल्ला तब कश्मीर के सबसे बड़े नेता थे, जब देश का बंटवारा हो रहा था। तब शेख अब्दुल्ला जिन्ना के लाख चाहने के बाद भी उनके साथ नहीं गए। ना ही वह कश्मीर के पाकिस्तान में विलय के पक्ष में थे। वह उन चुनिंदा नेताओं में थे, जो कश्मीर को भारत से मिलाने पर यकीन रखते थे। हालांकि बाद में कश्मीर साजिश के आरोप में उन्हें 11 साल जेल की सलाखों के पीछे बिताने पड़े। जब शेख अब्दुल्ला का जन्म हुआ उस समय आम कश्मीरी गरीबी से जूझ रहे थे। वहीं शेख अब्दुल्ला का परिवार व्यापार से जुड़ा था इसलिए उन्हें पढ़ने-लिखने का मौका मिला। उन्होंने लाहौर और अलीगढ़ में पढ़ाई की। अलीगढ़ से साल 1930 में विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के बाद वे श्रीनगर वापस लौट आए। शेख अब्दुल्ला ने पढ़ी-लिखी अवाम को इकट्ठा करना शुरू किया। उनके अंदर राजनीतिक और सामाजिक चेतना जगाने की बात की। उनकी कोशिशों के चलते 1932 में मुस्लिम कांफ्रेंस नाम का एक संगठन बना।