सुप्रीम कोर्ट से लखीमपुर खीरी हिंसा में आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) को बड़ा झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष की जमानत खारिज कर दी है। इतना ही नहीं कोर्ट ने आशीष को एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश भी दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आशीष गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं, लखीमपुर में जो किसानों पर गाड़ी चढ़ी थी उस मामले में आशीष का नाम आया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से दिए गए जमानत को रद्द करते हुए आशीष को एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है। आशीष की मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं। लखीमपुर खीरी के तिकोनिया मोड़ पर 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा मामले के अशीष को अब सरेंडर करना होगा।
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हाईकोर्ट को विचार करने को कहा-
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर हाईकोर्ट को फिर से विचार करना चाहिए। पीड़ित पक्ष की सुनवाई ठीक से नहीं हुई है और जमानत देने में जल्दबाजी की। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को इस मामले पर फिर से सुनवाई करने को कहा है।
क्या है लखीमपुर मामला-
3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर के तिकुनिया में हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई थी। आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू ने अपनी जीप से किसानों को कुचल दिया था। इस मामले में उत्तर प्रदेश SIT ने 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी। एसआईटी ने आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बताया था। इतना ही नहीं एसआईटी के मुताबिक, आशीष घटनास्थल पर ही मौजूद था। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फरवरी में आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी।
इससे पहले, न्यायालय ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका मंजूर करने के इलाहबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर सवाल उठाए थे और कहा था कि जब मामले की सुनवाई अभी शुरू होनी बाकी है, तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट और चोटों की प्रकृति जैसी अनावश्यक बातों पर गौर नहीं किया जाना चाहिए।
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यूपी सरकार से जवाब भी मांगा-
विशेष पीठ ने इस तथ्य पर UP सरकार से जवाब मांगा था कि राज्य सरकार ने न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (SIT) के सुझाव के अनुसार उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका दायर नहीं की। किसानों की ओर से पेश हए वकील दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने व्यापक आरोप पत्र पर विचार नहीं किया, बल्कि FIR पर भरोसा किया।
वहीं राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि आरोपी के देश से बाहर जाने की आशंका नहीं है और उसकी कोई क्रिमिनल हिस्ट्री नहीं है।