पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) के आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) द्वारा कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में "सार्वभौमिक मानव मूल्यों" विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी फॉर इंडक्शन प्रोग्राम के अध्यक्ष और एआईसीटीई और आई.के गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कपूरथला के पूर्व कुलपति प्रो. रजनीश अरोड़ा मुख्य वक्ता के रूप में सम्मिलित हुए।प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए प्रो. रजनीश अरोड़ा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी-2020 ) ने स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है कि पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त करने, एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज के विकास और राष्ट्रीय विकास को बढावा देने के लिए शिक्षा एक मूलभूत आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एनईपी-2020 में व्यक्त उपरोक्त आकांक्षाओं को नैतिक शिक्षा के समावेश के साथ ही प्राप्त किया जा सकता है, जो नागरिकों के बीच सही समझ, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, टीमवर्क और निडरता विकसित करते हुए सत्य, प्रेम, करुणा और सह-अस्तित्व के मूल्यों को बढ़ावा देगी। उन्होंने रेखांकित किया कि मानवीय शिक्षा के दो सबसे महत्वपूर्ण घटक यानी मानव विश्व दृष्टि और मानवीय मूल्य वर्तमान शिक्षा में गायब हैं, जिन्हें वर्तमान पाठ्यक्रम में सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों (यूएचवी) को शामिल करते हुए संबोधित करने की आवश्यकता है।अपने व्याख्यान के दौरान प्रो. रजनीश अरोड़ा ने समग्र मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली में यूएचवी की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में मुख्यधारा की शिक्षा में यूएचवी के समावेश की 40 वर्षों की प्रयोग यात्रा ने व्यक्तिगत और संस्थागत स्तर पर उत्साहजनक परिणाम दिए हैं।
उन्होंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम; एआईसीटीई अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी सहस्त्रबुद्ध, और अन्य ने भी शिक्षा प्रणाली में यूएचवी को शामिल करने की वकालत की है। उन्होंने अपने शैक्षणिक अनुभव साझा करते हुए यह रेखांकित किया कि न्यायसंगत समाज के निर्माण के लिए यूएचवी को उच्च शिक्षा स्तर पर पढ़ाया जा सकता है। उन्होंने सीयूपीबी अधिकारियों से यूएचवी कार्यक्रम को विश्वविद्यालय के मुख्य पाठ्यक्रम में शामिल करने का आग्रह किया।कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली यूएचवी से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है तथा ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः और सरबत दा भला की भारतीय विचारधारा ने हमारे पूर्वजों को प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के लिए सदैव प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली और हमारी तेज-तर्रार जीवनशैली ने हमें हमारे पारंपरिक मूल्यों से अलग कर दिया है, और न्यायसंगत मानव समाज के निर्माण के लिए युवाओं को नैतिक शिक्षा प्रदान करने हेतु एनईपी-2020 के तहत बहु-विषयक शिक्षा और अन्य सुधारों सहित विभिन्न परिवर्तनकारी शैक्षिक सुधारों को प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने उच्च शिक्षा के छात्रों को लर्न, अनलर्न और रीलर्न दृष्टिकोण को अपनाते हुए यूएचवी सीखने और अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया।कार्यक्रम की शुरुआत में आईक्यूएसी निदेशक प्रो. मोनिशा धीमान ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और मुख्य वक्ता का परिचय दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. तरुण अरोड़ा ने किया। अंत में कुलसचिव श्री कंवल पाल सिंह मुंद्रा ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के संकाय, गैर-शिक्षण कर्मचारी, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं शामिल हुए।