पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) के पर्यावरण एवं पृथ्वी विज्ञान विद्यापीठ ने भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग द्वारा अनुसंधान एवं अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने हेतु पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (पीआरएससी), लुधियाना के साथ मेमोरेंडम ऑफ़ अकादमिक सपोर्ट (एमओएएस) पर हस्ताक्षर किया।समारोह के दौरान डॉ. बृजेंद्र पटेरिया, निदेशक, पीआरएससी, लुधियाना ने कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी की गरिमामयी उपस्थिति में पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।कार्यक्रम के प्रारंभ में पर्यावरण एवं पृथ्वी विज्ञान विद्यापीठ के डीन डॉ. सुनील मित्तल के प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए समझौता ज्ञापन के उद्देश्यों को साझा किया। उन्होंने बताया कि इस ज्ञापन के अंतर्गत दोनों संस्थान भू-सूचना विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने और कुशल जनशक्ति के निर्माण के लिए भू-सूचना विज्ञान में एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा शुरू करेंगे। इस डिप्लोमा के अंतर्गत छात्र प्रथम सेमेस्टर का अध्ययन सीयूपीबी में और द्वितीय सेमेस्टर का अध्ययन पीआरएससी में करेंगे।सीयूपीबी के साथ इस समझौता ज्ञापन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ. बृजेंद्र पटेरिया, निदेशक, पीआरएससी ने कहा कि इस सहयोग से दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों को संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं पर कार्य करने, अनुसंधान सामग्री का आदान-प्रदान करने, अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक शोधपत्रिकाओं में शोध-पत्र लिखने, पुस्तकें प्रकाशित करने और एक साथ आईपीआर के सृजन करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत संचालित किया जाने वाला भू-सूचना विज्ञान में पीजी डिप्लोमा इस क्षेत्र में भू-सूचना विज्ञान में इस प्रकार का पहला अध्ययन कार्यक्रम होगा।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन पंजाब और देश के लोगों के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भू-स्थानिक तकनीक पंजाब के पर्यावरणीय मुद्दों के लिए अभिनव समाधान खोजने और स्थायी तरीके से प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग करके हमारे देश के पारिस्थितिक पर्यावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस समझौते के अंतर्गत एनईपी-2020 की दूरदर्षिता के अनुरूप कौशल आधारित शिक्षा के अधिकतम अवसर प्रदान करने हेतु संयुक्त डिग्री कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह सहयोग सतत विकास के लिए उभरती वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करके युवाओं को कौशल से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।अंत में डॉ. पुनीता पांडेय ने औपचारिक धन्यवाद दिया। इस अवसर पर पीआरएससी की टीम से डॉ. राज सेतिया, डॉ. अजय माथुर और श्री एस.के. साहू उपस्थित थे। कार्यक्रम में सीयूपीबी की टीम से प्रो. विनोद कुमार गर्ग, डीन छात्र कल्याण, प्रो. आर.के. वुसिरिका, डीन प्रभारी अकादमिक, डॉ. जे.के. पटनायक, विभागाध्यक्ष, भूविज्ञान विभाग, डॉ. एल.टी. ससंग गुइटे, विभागाध्यक्ष, भूगोल विभाग, डॉ धन्या एम.एस. और डॉ पीके साहू ने भाग लिया।