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शाबेरा अंसारी ने डिप्टी एसपी बन कर तोड़ा मुस्लिम समुदाय का भ्रम

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5 Dariya News

नई दिल्ली , 17 Jan 2021

आमतौर पर मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवारों में अभिवावकों को बच्चों के सरकारी नौकरी न मिलने का भ्रम होता है। जिसके कारण कई बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते और अक्सर अभिवावक अपनी बेटियों की जल्दी शादी करने की भी सोचते हैं। हालांकि ऐसे ही मध्यमवर्गीय एक परिवार की बेटी ने डीएसपी बन कर ये भ्रम तोड़ने का काम किया है।इंदौर निवासी शाबेरा अंसारी मध्यप्रदेश के देवास में डीएसपी महिला प्रकोष्ठ पद पर तैनात है और पिता इंदौर के ही एक थाने में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं।शाबेरा अंसारी की जिंदगी शुरूआत से सामान्य रही, वहीं कभी ज्यादा बड़े सपने भी नहीं रहे। स्कूल खत्म करने के बाद जब कॉलेज में गईं तो 19 साल की उम्र में शादी के रिश्ते आने लगे और मन मे ऐसा डर बैठा कि उस डर के कारण आज डीएसपी पद पर तैनात है और फिलहाल यूपीएससी की तैयारी भी कर रही है।शाबेरा ने मध्यप्रदेश के इंदौर में सरकारी स्कूल से कुछ साल पढ़ाई की और सरकारी कॉलेज से बीए किया और कॉलेज वक्त से ही पीएससी की तैयारी शुरू की।शाबेरा 2013 में सब-इंस्पेक्टर पद पर सेलेक्ट हुई और 2018 में उनकी तैनाती सीधी में प्रशिक्षु डीएसपी पद पर हुई।दरअसल शाबेरा का परिवार मूलरूप से उत्तरप्रदेश के बलिया का रहने वाला है लेकिन पिता की पुलिस में नौकरी के कारण करीब 30 साल पहले इंदौर बस गए।शाबेरा को पढ़ाई करने का बहुत शौक है, यही वजह है कि वह अब भी यूपीएससी की तैयारियों में लगी हुई हैं।शाबेरा अंसारी ने आईएनएस को बताया, मै स्कूल वक्त से सामान्य अंक प्राप्त करने वाली छात्रा रही। एक बार गणित में फेल भी हुई।19 साल की उम्र में रिश्ता आया तो मन मे डर बैठ गया। उसके बाद कुछ करने की ठानी और मुड़ कर नहीं देखा।कॉलेज वक्त के दौरान पीएससी की पढ़ाई शुरू की और पहली परीक्षा में उसे क्लीयर भी कर दिया और उस वक्त से अब तक मैं पढ़ाई करती आ रही हूं।शाबेरा ने आगे बताया, मेरी मां ने हमेशा मुझे स्पोर्ट किया। शुरूआती दौर में जहन में नहीं था कि पुलिस विभाग में ही जाना है। 

घर मे पिता पुलिस में होने के कारण बस थोड़ी दिलचस्पी हमेशा रही।जानकर हैरानी होगी कि शाबेरा अपने पूरे खानदान में पहली महिला है जो सिविल सर्विसेज में है। शाबेरा अपने पूरे परिवार और समाज के लिए अब एक प्रेरणा बन चुकी हैं।शाबेरा से परिवार के अन्य बच्चे भी उनकी पढ़ाई के बारे में पूछते हैं वहीं किस तरह वह भी यहां तक पहुंचे इसकी जानकारी भी लेते हैं।शाबेरा स्कूली कार्यक्रमो में भी जाती हैं और बच्चों को प्रोत्साहित करतीं हैं। स्थानीय स्कूल और अन्य संस्थानों की तरफ से उन्हें बुलाया भी जाता है।उन्होंने बताया, स्कूल्स में जाकर कार्यक्रमों में बच्चों का प्रोत्साहन बढ़ाने की कोशिश करती हूं। जिंदगी मे किस तरह आगे बढ़ना है ये बताने का भी प्रयास रहता है।हालांकि कार्यकमों में छोटे छोटे बच्चे उनके साथ सेल्फी भी लेते हैं वहीं उनकी तरह कैसे बना जाए इसकी जानकारी भी लेते हैं।मुस्लिम समाज से होने के कारण उनके पास समाज के ही जानकारों के भी फोन आते रहते हैं। ताकि वह उनके कार्यक्रम में जाकर समाज के बच्चों को प्रोत्साहित करें।उन्होंने बताया, मुस्लिम समाज के बच्चों को भी अक्सर मैं समझाती रहती हूं खासतौर पर लड़कों को। मैं सभी से यही कहती हूं कि खुद पर भरोसा रखो और मन से पढ़ाई करो, मेहनत जरूर लंग लाएगी।शाबेरा को अपने पिता से भी काफी सीखने को मिला, अब इसे संयोग कहे या नहीं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान शाबेरा जिस थाने की प्रभारी रही उसी थाने में उनके पिता सेवा दे चुके हैं।दरअसल उनके पिता उत्तरप्रदेश किसी काम से गये हुये थे, उसी दौरान लॉकडाउन लग गया और वह वहीं फंसे रहे गये। पिता को बेटी ने जैसे तैसे अपने पास बुला लिया। उसी दौरान पी एच क्यू ने आदेश जारी कर दिया गया कि जो जहां है वही अपनी सेवा देंगे।हालांकि पिता के साथ काम कर उन्होंने उनसे काफी कुछ सीखा और साथ ही एक प्रकरण को भी सुलझया था। दोनों रात में गश्त पर पर भी निकला करते थे, हालांकि बेटी घर पहुंचने पर अपने पिता को खाना बना कर भी खिलाया करती थी।हालांकि बिटिया के डीएसपी बनने के बाद अब पिता उन्हें अधिकारी की नजर से देखते हैं और उनसे उसी तरह बात करते हैं। शाबेरा अपने पिता को कई बार कह चुकीं है कि वह अधिकारी बाहर है घर पर नहीं।

 

Tags: Khas Khabar , Deputy Superintendent of Police.Shabera Ansari , Police , Dewas , Madhya Pradesh

 

 

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