कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के अधिकारियों को सत्यनिष्ठा की शपथ दिलाई और अधिकारियों को संबोधित किया। इस अवसर पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग का “महामारी में सुशासन के आचरण पर विचार बॉक्स” का शुभारंभ और “ई-गवर्नेंस में सर्वश्रेष्ठ आचरण” पर सोशल मीडिया ट्वीट्स जारी किए। लोगों के विचारों के लिए इस आइडिया बॉक्स को डीएआरपीजी के साथ-साथ माईगव (mygov) प्लेटफॉर्म पर भी शुरू किया गया है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि सतर्कता जागरूकता सप्ताह भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध जारी रखने के सरकार के संकल्प का पुनर्मूल्यांकन है। उन्होंने कहा कि 2014 में, निराशा और मायूसी का माहौल था और आम आदमी को लगा कि भ्रष्टाचार के चक्र से उन्हें छुटकारा नहीं मिल सकता। मोदी सरकार ने तत्कालीन निराशावाद को आशावाद में बदल दिया है। "जीरो टॉलरेंस टू करप्शन" के प्रधानमंत्री के मंत्र का अनुसरण करते हुए भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए सरकार द्वारा निर्णायक कदम उठाए गए हैं। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रक्रियाओं को अधिक न्यायसंगत बनाया गया और भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करने के लिए 30 साल के अंतराल के बाद भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में संशोधन किया गया है। सरकार ने समूह "सी" और "डी" के पदों के लिये साक्षात्कार समाप्त कर दिए है। लोकपाल को 2018 में क्रियाशील बनाया गया था। इसके अलावा केंद्रीय सूचना आयोग और डीएआरपीजी ने मामलों के निपटान में सफलतापूर्वक वृद्धि दर्ज की है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी जो सामान्य योग्यता परीक्षा आयोजित करेगी, निचले स्तर की नौकरियों में रोजगार के अवसरों के लिए एक समान मौके प्रदान करेगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी है और भारतीय समाज में ईमानदारी को सामाजिक सम्मान कि तरह देखा गया है।इस अवसर पर होने वाली गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा "सतर्क भारत, समृद्ध भारत" विषय पर एक गोलमेज चर्चा की गई। राउंड टेबल को पूर्व कैबिनेट सचिवों श्री प्रभात कुमार और श्री अजीत सेठ, डीओपीटी के पूर्व सचिव डॉ. सी. चंद्रमौली और डीएआरपीजी के सचिव डॉ. के. शिवाजी ने संबोधित किया। गोलमेज चर्चा में "नैतिक भारत" की खोज में निवारक सतर्कता के प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें सार्वजनिक सेवा की नैतिकता, नैतिक आचरण का सामाजिक अंकेक्षण, भ्रष्टाचार के मापन योग्य विश्लेषण और भ्रष्टाचार का शासन पर पड़ने वाला अत्यधिक प्रभाव है। प्रमुख चर्चा कर्ताओं ने सार्वजनिक सेवा के कोने-कोने में नैतिकता की आवश्यकता, निवारक सतर्कता में जागरूकता के सृजन का महत्व, मुख्य सतर्कता अधिकारियों की भूमिका, सत्यनिष्ठा को अपनाने और ऑनलाइन पोर्टल प्रोबिटी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन पर जोर दिया।डॉ. क्षत्रपति शिवाजी, सचिव डीएआरपीजी, श्री वी. श्रीनिवास, अतिरिक्त सचिव डीएआरपीजी, श्री सुधीर कुमार, अतिरिक्त सचिव केंद्रीय सतर्कता आयोग, श्री प्रभात कुमार, पूर्व कैबिनेट सचिव, श्री अजीत सेठ, पूर्व कैबिनेट सचिव, डॉ. चंद्रमौली, पूर्व सचिव कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, श्रीमती जया दुबे, संयुक्त सचिव, डीएआरपीजी के साथ प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के अधिकारियों ने प्रतिज्ञा ली और डीएआरपीजी में सतर्कता दिवस की गतिविधियों में शामिल होने के लिए उपस्थित रहे।