केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचन्द गहलोत ने कहा कि सरकार देश के दिव्यांगजनों, विशेष रूप से महिला दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सरकार ने पिछले पांच वर्षों के दौरान अनेक नई योजनाएं शुरू की हैं। उनके मंत्रालय के तहत दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग द्वारा आयोजित एडीआईपी शिविरों के माध्यम से पिछले पांच वर्षों के दौरान 323345 महिला दिव्यांग लाभार्थियों ने सहायता और उपकरण प्राप्त किए हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली दिव्यांग महिला लाभार्थियों की संख्या 27431 रही। सरकार ने इस वर्ष 8 मार्च को आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के लिए 1 से 7 मार्च, 2020 तक एक विशेष अभियान शुरू किया है।उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और शीर्ष श्रेणी शिक्षा में कुल छात्रवृत्ति के 50 प्रतिशत स्थान और राष्ट्रीय विदेश छात्रवृति के 30 प्रतिशत स्थान बालिका उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान छात्रवृत्ति योजना के तहत महिला लाभार्थियों की संख्या 30950 रही।श्री गहलोत ने कहा कि वर्तमान में उनके मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय विकलांग वित्त और विकास निगम (एनएचएफडीसी) 2 से 8 मार्च, 2020 तक नई दिल्ली में ‘एकम फेस्ट’ का आयोजन कर रहा है। इसका उद्देश्य उद्यमिता और महिलाओं सहित दिव्यांगजनों के उत्पादों के विपणन में मदद करना है। एनएचएफडीसी 40 प्रतिशत या इससे अधिक दिव्यांगता से ग्रस्त और 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी पात्र भारतीय नागरिकों को आय जुटाने वाली इकाइयों की स्थापना के लिए सुविधाजनक शर्तों पर रियायती ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
स्व–रोजगार योजनाओं के लिए विकलांग महिलाओं को ब्याज दर में 1 प्रतिशत की छूट दी जाती है। पिछले 5 वर्षों की महिला लाभार्थियों की संख्या 12959 रही और कुल 102 करोड़ 55 लाख रुपये के ऋण का वितरण किया गया। दिव्यांग व्यक्तियों का सशक्तिकरण विभाग 6 मार्च, 2020 को यौन उत्पीड़न कानून के संबंध में महिला कर्मचारियों में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।उन्होंने कहा कि दिव्यांग महिलाएं सरकारी क्षेत्र में प्रवेश कर रही हैं और आईएएस, आईएफएस और अन्य केन्द्रीय सेवाओं में काम कर रही हैं। यहां तक कि निजी क्षेत्र, अस्पतालों, आतिथ्य सत्कार में भी दिव्यांग महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। इसके अलावा, खेल, संस्कृति, शिक्षा और सामाजिक कार्य जैसे क्षेत्रों में भी ये काम कर रही हैं। दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग ने दिव्य कला शक्ति के दो सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जिसमें दिव्यांग लड़कियों, महिलाओं के साथ बच्चों ने भी नृत्य, गीत और संगीत में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्हें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों ने खूब सराहा।दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए, श्री गहलोत ने कहा कि इस अधिनियम में कुछ सामान्य प्रावधान हैं जो दिव्यांग महिलाओं और पुरुषों के लिए समान रूप से लागू हैं। उपयुक्त सरकार और स्थानीय अधिकारी यह सुनिश्चित करने के उपाय करेंगे कि दिव्यांग महिलाएं और बच्चे अपने अधिकारों का अन्य लोगों के समान ही आनंद लें। यह अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समानता और भेदभाव न करने की गारंटी देता है। इस अधिनियम में सामुदायिक जीवन, संरक्षण (दुरुपयोग, हिंसा और शोषण), घर और परिवार, मतदान की पहुंच, न्याय तक पहुंच आदि से संबंधित विभिन्न अधिकार शामिल हैं।
श्री गहलोत ने कहा कि अधिनियम में कुछ प्रावधान विशेष रूप से महिलाओं के लिए हैं:-
प्रसव पूर्व, नवजात और प्रसव के बाद माँ और बच्चे की देखभाल के लिए उपाय करना;
विशेष रूप से दिव्यांग महिलाओं के लिए यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य देखभाल।
दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत मान्यता पाप्त 21 दिव्यांगताओं में एक तेजाब हमले के शिकार की है, जो मुख्य रूप से महिलाएं होती हैं। वे न केवल दूसरे व्यक्तियों को उपलब्ध विभिन्न अधिकारों और सुविधाओं की हकदार हैं, बल्कि सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा संस्थानों में भी आरक्षण की हकदार हैं।
इस अधिनियम में दिव्यांग महिलाओं के खिलाफ अत्याचार करने के लिए अपराधों और दंडों के बारे में भी एक अध्याय शामिल है जिसमें कम से कम 6 महीने की सजा का प्रावधान है और यह सजा आर्थिक दंड के साथ पांच वर्षों तक बढ़ाई जा सकती है।
सभी संबंधित योजनाओं और विकासात्मक कार्यक्रमों में दिव्यांग महिलाओं को प्राथमिकता के साथ भूमि और आवास के आवंटन का 5 प्रतिशत आरक्षण।
दिव्यांग महिलाओं को प्राथमिकता के साथ सभी गरीबी उन्मूलन और विभिन्न विकासात्मक योजनाओं में 5 प्रतिशत आरक्षण।