मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन कर्नल सुरजन सिंह रंधावा द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘बैटलफरंटज़ ऑफ ए मिलिट्री हीरो’ जारी की गई।यह पुस्तक लैफ्टिनैंट जनरल एच.पी.एस. कलेर, टाईमज़ ऑफ इंडिया और पायनियर पूर्व रैज़ीडैंट संपादक श्री दिनेश कुमार द्वारा जारी की गई।श्री रंधावा ने पुस्तक के विमोचन के बाद जलसे को संबोधित करते हुए पुस्तक के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला और कहा कि एक फ़ौजी सिफऱ् लड़ाई के मैदान में ही नहीं लड़ता बल्कि वह सेवा मुक्ति के बाद जि़ंदगी के आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक जैसे तीन महत्तवपूर्ण फरंटों पर चैंपियन के तौर पर उभर कर भी सामने आता है। उन्होंने कहा कि अपनी किताब में उन्होंने संदेश दिया है कि एक फ़ौजी भी मनुष्य ही होते हैं और उनको सेवा मुक्ति के बाद जि़ंदगी के कई मुश्किल पड़ावों से गुजऱना पड़ता है। उन्होंने कहा कि एक सच्चा सिपाही कभी हार नहीं मानता और अंत में वह अपने परिवार और समाज के लिए एक मार्गदर्शक बन जाता है। श्री रंधावा ने कहा कि यह उनकी चौथी पुस्तक है और वह आध्यात्मिकता संबंधी भी लिख रहे हैं परन्तु इस बार उन्होंने अपनी इस किताब में एक फ़ौजी के आंतरिक हाव-भाव को छूने की कोशिश की है जो नैतिकता और भावनाओं से सम्बन्धित है। लेखक ने कहा कि फौजियों की पत्नियाँ भी असली सैनिक हैं जब उनके फ़ौजी पति जंग के मैदान में लड़ रहे होते हैं, उस समय वह अपने सीमित स्रोतों के साथ परिवार को कुशलता के साथ चलाती हैं। उन्होंने कहा कि किताब का सार नागरिकों और सरकार को पूरी तरह फ़ौज के साथ जोडऩा है।