देश के 12वें प्रधानमंत्री रहे श्री इंद्र कुमार गुजराल जी का प्रभाव न केवल देश भारत में ही था, बल्कि पूरे विश्व में उनका प्रभाव था! दक्षिणी देशों के राजनेता उनसे मिलने और सुनने के लिए हमेशां उत्सुक रहते थे! वे इतिहास की एक श्रृंखला के समर्थक थे जिसमें पडोसी देशों या रिआसतों को अपने पड़ोसियों के अनुकूल और बेहतर सम्बन्ध में रहने को कहा जाता था, क्योंकि इससे उन्हें अधिक प्रगति-तरक्की मिलती थी! यह कहना है पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इन्दर कुमार गुजराल को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतनाम सिंह माणक (सहायक संपादक अजित प्रकाशन समूह) का! वे बुधवार को आई.के.गुजराल पंजाब टेक्निकल युनिवर्सिटी में आयोजित समारोह को बतौर मुख्य वक्त सम्बोधित कर रहे थे! युनिवर्सिटी में यह समारोह देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व.इन्दर कुमार गुजराल जी के 100वें (शताब्दी) जन्म दिवस के उपलक्ष्य में रखा गया था! श्री माणक ने कहा कि गुजराल साहब देश के बौद्धिक प्रधानमंत्रियों में से एक थे! उन्होंने बताया कि गुजराल साहब मानवाधिकारों, पत्रकारों के संगठन निर्माण के पक्षधर थे! उन्होंने कहा कि अगर पड़ोसी देशों के साथ हमारे संबंध अच्छे हैं तो हम उनके संसाधनों का उपयोग करके और उनके साथ अपने संसाधनों को साझा करके आगे और प्रगति/तरक्की कर सकते हैं!समारोह के मेजबान मंडल की अध्यक्षता कुलपति प्रो. (डा.) अजय कुमार शर्मा ने की! उन्होनें देश के पडोसी देशों के साथ एवं फॉरेन रिलेशन्स के संधर्व में गुजराल साहिब की तरफ से दिए गए पांच बिंदुओं पर अपनी बात रखी! कुलपति प्रो. (डा.) शर्मा ने कहा कि पडोसी देशों से सम्बन्ध, विदेश नीतियों से जुड़े विषयों में रूचि रखने वालों के लिए "गुजराल डॉक्टराइन" आज भी शोध का विषय है! उन्होनें देश के प्रति सच्चे, निष्ठावान एवं राष्ट्रभक्त के तौर पर श्री गुजराल जी को सम्बोधित करते हुए उन्हें इस विशेष दिवस पर शत-शत नमन किया!इस अवसर पर जालंधर में चाइल्ड हेल्पलाइन के नाम से संस्था चला रहे सुरिंदर सैणी, जो कि गुजराल साहेब के क़रीबिओं में से हैं, ने पूर्व प्रधानमंत्री के जालंधर से जुड़ाव के बारे में बताया!यूनिवर्सिटी के डीन अकादमिक डा.बलकार सिंह की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री गुजराल साहिब का जीवन परिचय पढ़ा गया! जबकि धन्यवाद प्रस्ताव रजिस्ट्रार डा.सुखबीर सिंह वालिया की तरफ से रखा गया! जन संपर्क अधिकारी रजनीश कुमार शर्मा की तरफ से मंच संचालन किया गया! इस मौके पर यूनिवर्सिटी संयुक्त रजिस्ट्रार डा.आर.पी.एस बेदी, डायरेक्टर दूरवर्ती शिक्षा एवं पूर्व रजिस्ट्रार डा.अमनप्रीत सिंह व अन्य उपस्थित रहे!