देश की आजादी में अहम योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों तथा रणबांकुरों की गौरवमयी शोर्य गाथाओं के बारे में युवा पीढ़ी को अवगत करवाना अत्यंत जरूरी है ताकि युवाओं में देश भक्ति का जज्बा कायम हो सके। यह उद्गार पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने धर्मशाला के डीआरडीए सभागार में भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय यशपाल जयंती समारोह में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यशपाल ने देश की आजादी की लड़ाई में बढचढ़ कर भाग लिया तथा तमाम सुख सुविधाओं को त्याग कर देश की खातिर जेल यात्रा भी करनी पड़ी इसके साथ ही आजादी के पश्चात कलम के पुरोधा के रूप में अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से समाज को जागरूक करने में भी अहम भूमिका का निर्वहन किया है।समारोह के प्रथम सत्र की अध्यक्षता यशपाल के सुपुत्र आनंद यशपाल ने करते हुए कहा कि भाषा एवं संस्कृति विभाग यशपाल के उपर डाक्यूमेंटरी तैयार करें व उनके कार्यक्रमों में न केवल प्रदेश बल्कि प्रदेश के बाहर से भी कवियों/साहित्यकारों को भी सम्मलित किया जाए।। इसके साथ विशिष्ठ अथिति विशाल नैहरिया ने भाषा और संस्कृति विभाग की सहराना करते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि राज्य स्तरीय यशपाल जयंती का आयोजन धर्मशाला में कराया जा रहा है और भविष्य में विभाग द्वारा ऐसे ओर कार्यक्रम कांगड़ा जिला और धर्मशाला में आयोजित किए जाएंगे। इस अवसर पर डा कुंवर दिनेश सिंह की अंग्रेजी काव्य संग्रह दी फ्रास्टेड ग्लास पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर सर्व प्रथम डा. राजेंद्र राजन द्वारा यशपाल के जीवन व साहित्य पर लघु फिलम दिखाई गई। उसके बाद राजन द्वारा ही पापा आर यू ओके कहानी पाठ किया गया। डा. कुंवर दिनेश ने क्रांतिकारी साहित्य का यशपालः व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध पत्र पड़ा गया तथा आमंत्रित विद्वानों सुशील कुमार फुल्ल, के.आर भारती, प्रेम लाल गौतम व डा. गौतम व्यथित आदि ने इस पर चर्चा की। दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता के.के तुर ने की। सुशील गौतम ने ‘‘माना कि हम सब मानुष है, हमारी भी सीमाएं हैं’’, दुर्गेश नंदन ने ‘‘क्या सच में यह आस्था है या आस्था के नाम पर व्यापार है?’’, डा. अदिति गुलेरी ने ‘‘इश्वा प्रदत्त कर्मों का तरपन’’, डा. कमल के. प्यासा ‘‘मुखोटाधारी मदारी भरतर झोली’’, कृष्ण चंद्र महादेविया ‘‘अम्मा चाची कहे कुछ न, नयन भरे हर बार’’, गंगाराम राजी ने ‘‘बताओ मलाई कौन खाएगा’’, चंद्ररेखा ढडवाल ने ‘‘मेरी आंखों में इक प्यास का बादल यारा’’ पर कविता पाठ किया। इसके अतिरिक्त हरिकृष्ण मुरारी, प्रताप जरयाल, टी.सी सावन, अल्का कुमारी, दीपक वर्मा, अमरनाथ धीमान, डा. प्रत्यूष गुलेरी, प्रभात शर्मा, शिवा पंचकरण, राजेंद्र ठाकुर, डा. गंगा राम राजर, सूशील गौतम, बल्विंद्र सिंह धनारी समेत लगभग 40 कवियों ने कविता पाठ किया। इस अवसर पर यशपाल की भतीजि गोगी यशपाल भाषा अधिकारी शिमला कुसुल संघाई, ममता वर्मा, सरोजना, जिला भाषा अधिकारी सुरेश राणा भी मौजूद रहे। अंत में सहायक निदेशक त्रिलोक सूर्यवंशी द्वारा सभी गणमान्य व्यक्यिों का धन्यवाद किया गया।