आर्यन्स कॉलेज ऑफ़ लॉ ने आज पीएचडी कक्ष सेक्टर -31, ए में कानूनी शिक्षा में समस्याएं और परिप्रेक्ष्य विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इस अवसर पर भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल श्री सत्य पाल जैन मुख्य अतिथि थे। आर्यन्स कॉलेज ऑफ लॉ के एलएलबी और बीए-एलएलबी के छात्रों ने समारोह में भाग लिया।पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्षश्री डीपीएस रंधावा; पंजाब विश्वविद्यालय के विधि विभाग के प्रोफेसर डॉ विजय नागपाल; पंजाब वकील एसोसिएशन और जिला बार एसोसिएशन, लुधियाना के अध्यक्ष श्री अशोक मित्तल; भारत के सर्वोच्च न्यायालय और यूके, यूएस और यूरोपीय संघ के अंतर्राष्ट्रीय वकील श्री मनुज भारद्वाज इस अवसर पर विशेष अतिथि थे। आर्यन्स ग्रुप के चेयरमैन डॉ अंशु कटारिया ने समारोह की अध्यक्षता की। मैनचैस्टर लॉ स्कूल से आए प्रतिनिधियों ने भारतीय और यूके के बीच कानूनी शिक्षा में अंतर पर छात्रों के साथ बातचीत की ।श्री सत्य पाल जैन ने कहा कि कानूनी पेशा सबसे पवित्र और महान पेशा है। उन्होंने छात्रों को निर्देशित किया कि कड़ी मेहनत ही सफलता का मुख्य कारक है क्योंकि देश मे अनगिनत लोगों के उदाहरण हैं जो छोटे परिवारों से आते हैं लेकिन अब मेहनत के बल पर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए। तकनीक को व्यापक रूप से अपनाया जाना चाहिए। विवादों को हल करने के लिए आंतरिक तंत्र को मजबूत बनाया जाना चाहिए।डीपीएस रंधावा ने कहा कि कानूनी शिक्षा के उद्देश्य की पूर्ति करना सिस्टम व सरकार का मुख्य होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते, भारत में सबसे अच्छी कानूनी शिक्षा होनी चाहिए जो कि राष्ट्र और समाज का नेतृत्व करने के लिए सक्षम पेशेवरों, विधायकों, कानूनी प्रकाशकों आदि से आएगी।डॉ विजय नागपाल ने कहा कि कानूनी शिक्षा प्रणाली में सबसे बड़ा अंतर सैद्धांतिक और व्यावहारिक भागों के बीच है। कानून संस्थानों के विकास को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी के बीच बहुत भ्रम है। उन्होंने कहा कि वकीलों और शिक्षकों के लिए नियमित रिफ्रेशर पाठ्यक्रमों की आवश्यकता है ताकि वे नए घटनाक्रम से अवगत रह सकें।श्री अशोक मित्तल ने कानूनी शिक्षा प्रणाली की समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय संस्थानों में आधारभूत सुविधाओं की कमी है जिसमें अच्छे बुनियादी ढाँचे, प्रैक्टिकल आदि शामिल हैं। उन्होंने आगे छात्रों को पेशेवर प्रणाली पर ईमानदारी से प्रयास करने के लिए प्रेरित किया ।