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पराली को आग ना लगाने वाले बीर दलविन्दर सिंह को मिला राष्ट्रीय सम्मान

पिछले छह सालों से पराली को खेतों में ही बाह कर सफलता के साथ खेती कर रहा गाँव कल्लर माजरी का किसान बीर दलविन्दर सिंह

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पटियाला//नई दिल्‍ली , 11 Sep 2019

नई दिल्‍ली में भारतीय खेती खोज परिषद और निर्देशालय, खेती और किसान भलाई की तरफ से फसलों के अवशेष का उचित प्रयोग के विषय पर किसानों की राष्ट्रीय कान्फ्रेंस करवाई गई, जिस में पंजाब, हरियाणा, उतर प्रदेश और दिल्ली के किसानों ने हिस्सा लिया और इस मौके धान की पराली का उचित प्रयोग करने वाले पंजाब के 10 किसानों को सम्मानित किया गया, जिनमें से पटियाला जिले के गाँव कल्लर माजरी का पढ़ा लिखा नौजवान व प्रगतिशील किसान बीर दलविन्दर सिंह भी शामिल है। कांफ्रेंस दौरान बीर दलविन्दर सिंह ने बताया कि वह पिछले छह सालों से प्राकृतिक स्रोत संरक्षण तकनीकों और आधुनिक खेती मशीनरी के साथ खेती कर रहा है और इसके, उसे बड़े सार्थक नतीजे देखने को मिले हैं।एम.टैक कंप्यूटर विज्ञान की डिग्री प्राप्त करने उपरांत साफवेयर इंजीनियर के तौर पर तीन साल नौकरी करने के बाद आधुनिक तकनीकों के साथ खेती करने वाले बीर दलविन्दर सिंह ने बताया कि उसने अपने खेतों में पिछले छह सालों से आग नहीं लगाई जिससे फसलों के लिए लाभदायक मित्र कीड़ों ने जमीन की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि की है और पहले की अपेक्षा खेतों में यूरिया खाद का प्रयोग भी कम होने लगा है। उन्होंने बताया कि जहाँ पराली खेत में ही बाहने से यूरिया खाद के प्रयोग में कमी आई है वहीं ही जमीन की पानी जज्ब करने की क्षमता में भी वृद्धि हुई है जो जमीन की उपजाऊ शक्ति के लिए लाभदायक है। स. बीर दलविन्दर ने बताया कि अन्य लाभा के अलावा सबसे बड़ा फायदा वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने का है। उन्होंने कहा कि वे इस बात से संतुष्ट हैं कि वह वातावरण को प्रदूषित करने वाली तकनीकों के बिना सफलतापूर्वक खेती कर रहा हैं और वह इससे बेहद सूकून महसूस करते हैं।

40 सालों के किसान बीर दलविन्दर सिंह ने बताया कि पंजाब सरकार की तरफ से किसानों को धान की पराली को आग लगाने से होते नुकसान बारे सुचेत भी किया जा रहा है वहीं हैप्पी सीडर पर सब्सिडी भी मुहैया करवाई जा रही है और जो किसान यंत्र खरीदना नहीं चाहते हो कस्टम हायरिंग सैंटरों के माध्यम से मशीनरी को किराये पर भी ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी तरफ से अपनाए खेती तौर तरीकों की वजह से पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की तरफ से भी उन्हें नयी तकनीकें अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है और खेती माहिर भी समय -समय पर उनके खेतों का दौरा करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि खेती यंत्र बनाने वाली कंपनियाँ भी नये बनाए उत्पादों को उपयोग के लिए उन्हें देती हैं, जिससे नये यंत्रों में किसी प्रकारकी कोई कोर कसर  को खेतों में जांचा जा सके।बीर दलविन्दर सिंह ने बताया कि हैप्पी सीडर की मदद से धान के बाद गेहूँ की बिजाई में भी आसानी होती है। आम तौर पर किसान खेत को 7-8 बार वाह कर तैयार करता है जबकि हैप्पी सीडर के प्रयोग से एक बार में ही गेहूँ की बिजाई हो जाती है। हैप्पी सीडर से बिजाई करके जहाँ वातावरण साफ -सुथरा रहता है वहीं ही खेत में पराली मिलाने से जमीन की जैविक स्थिति में भी सुधार आता है और लेबर और ऊर्जा जैसे साधनों की बचत होती है और घासफूस नाशकों का प्रयोग घटता है। इस तरह गेहूँ की बिजाई का खर्चा भी घटता है और झाड़ पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता।बीर दलविन्दर सिंह ने किसानों को धान की पराली को आग लगाने की बजाय खेतों में बाहने  की अपील करते कहा कि जहाँ इससे वातावरण प्रदूषित होने से बचेगा वहीं हमारे खेतों की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होगा और हम अपनी, आने वाली पीढ़ीयों को साफ -सुथरा वातावरण और उपजाऊ जमीन देकर जाएंगे।

 

 

Tags: Khas Khabar , Agriculture

 

 

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