राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों के लिए 475.56 करोड़ रुपए की रकम रखते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सम्बन्धित अधिकारियों को राहत कामों के बाद तत्काल तौर पर किये जाने वाले कामों समेत व्यापक तौर पर पुनर्वास योजनाएँ तैयार करने के आदेश दिए।एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि 242.33 करोड़ रुपए बुनियादी ढांचे के कामों और राहत कामों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं जबकि 233.32 करोड़ रुपए नुकसान का सही ढंग से अनुमान लगाने और योजनाएँ तैयार करने के बाद कम और लंबे समय में मुहैया करवाए जाएंगे।बाढ़ों की स्थिति का जायज़ा लेते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आपदा प्रबंधन ग्रुप का नेतृत्व कर रहे मुख्य सचिव को बाढ़ों के बाद बुनियादी ढांचे के कामों में तेज़ी लाने को यकीनी बनाने के लिए कहा क्योंकि राज्य में भारी बाढ़ों के कारण सार्वजनिक जायदादों को बहुत बड़ा नुकसान पहुँचा है। उन्होंने बाढ़ों के बाद के कामों की लगातार निगरानी करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया जिससे प्रभावित जिलों में बनाईं गई योजनाओं के मुताबिक तय समय में कार्य यकीनी बनाए जा सकें।मुख्यमंत्री ने समूह डिप्टी कमीश्नरों को व्यापक स्तर पर पुनर्वास योजनाएँ बनाने के लिए कहा। उन्होंने डिप्टी कमीश्नरों को हिदायत की कि बाढ़ पीडि़त लोगों को पीने वाला पानी, भोजन, छत और दवाएँ उस समय तक मुहैया करवानी जारी रखी जाएँ, जब तक उनको इसकी ज़रूरत है। मुख्यमंत्री ने पशु पालन विभाग को भी प्रभावित इलाकों में पहल के आधार पर पशुओं के लिए दवाएँ और चारा मुहैया करवाने के लिए कहा।मीटिंग के दौरान यह बताया गया कि बाढ़ राहत और बुनियादी ढांचे के काम करने के लिए कुल 475.56 करोड़ रुपए रखे गए हैं जिनमें से 68.75 करोड़ रुपए रूपनगर जिले में ज़रुरी कामों पर खर्च किए जाएंगे। इसी तरह मोगा के लिए 91.38 करोड़ रुपए, जालंधर के लिए 119.85 करोड़ रुपए, कपूरथला के लिए 189.62 करोड़ रुपए, फाजि़ल्का के लिए 54 लाख रुपए और फिऱोज़पुर के लिए 5.42 करोड़ रुपए ख़र्च किये जाने हैं।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) को कहा कि अगली फसलों की बिजाई से पहले प्रभावित हुई खेती की ज़मीन को पुन: प्रयोग योग्य बनाया जाये। इस सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि किसानों को हुए नुकसान की भरपायी के लिए न सिफऱ् मुआवज़ा दिया जायेगा बल्कि अगली फ़सल की बिजाई के लिए मुफ़्त बीज भी मुहैया करवाया जायेगा।
इसी दौरान मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि बाढ़ प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ 12 हज़ार रुपए का मुआवज़ा दिया जायेगा जिसमें पाँच हज़ार रुपए भारत सरकार का और सात हज़ार रुपए राज्य सरकार की हिस्सेदारी है। इस मुआवज़े में बाढ़ों के कारण खऱाब हुई ज़मीन में कीचड़ निकालना भी शामिल है। यह मुआवज़ा विशेष गिरदावरी मुकम्मल होने के बाद बाँटा जायेगा और राज्य के राजस्व विभाग द्वारा गिरदावरी के हुक्म पहले ही दिए हुए हैं।बाढ़ों से प्रभावित किसानों की तरफ से सहकारी बैंकों से उठाए फ़सली कजऱ्े की वसूली आगे डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में व्यापारिक बैंकों द्वारा भी ऐसा ही फ़ैसला लेने के लिए वह इस मसले को भारत सरकार के पास उठाएंगे।इसी दौरान राज्य सरकार ने मृतक व्यक्तियों के परिवारों को 4-4 लाख रुपए का मुआवज़ा देने का ऐलान पहले ही किया हुआ है। इसके अलावा बाढ़ों से मारे गए पशुओं के मालिकों को भी वित्तीय सहायता मुहैया करवाई जानी है जिसके अंतर्गत दुधारू पशु के लिए 30 हज़ार रुपए, बलदों के लिए 25 हज़ार रुपए और भेड़, बकरी और सूअर के लिए तीन हज़ार रुपए का मुआवज़ा दिया जायेगा। राज्य सरकार द्वारा अपनी नीति के अंतर्गत पूरी तरह नुकसाने गए पक्के घर के लिए एक लाख रुपए और पूरी तरह नुकसाने गए कच्चे घर के लिए 95 हज़ार रुपए का मुआवज़ा प्रभावित परिवारों को दिया जायेगा। इसी तरह यदि खेत मज़दूर और अन्य कामगार सरकार द्वारा स्थापित किसी भी राहत कैंप में नहीं रहे तो इस सूरत में खेत मज़दूरों और अन्य कामगारों को 60 रुपए प्रतिदिन और 45 रुपए प्रति बच्चा प्रतिदिन के रूप में मुआवज़ा दिया जायेगा।अब तक बाढ़ों से आठ व्यक्तियों की मौत हुई है जिनमें से फाजि़ल्का, रूपनगर और जालंधर जि़लों में एक-एक व्यक्ति जबकि लुधियाना जिले में पाँच व्यक्ति मारे गए। एक अन्य लापता है और 12 व्यक्ति जख़़्मी हुए हैं। बाढ़ों से 1.72 लाख एकड़ फ़सली क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है।बाढ़ों के साथ घरों को भी बहुत नुकसान पहुँचा है जिनमें 298 पक्के घरों को आंशिक तौर पर और 1457 पक्के घरों को पूरी तरह नुकसान पहुँचा है। इसी तरह 64 कच्चे घर आंशिक तौर पर और 49 कच्चे घर पूरी तरह नुकसाने गए हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 4228 पशुओं की मौत हुई है। इसके अलावा बाढ़ की चपेट में आए 5973 व्यक्तियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। प्रभावित लोगों के लिए 99 राहत कैंप लगाए गए जहाँ 2776 व्यक्ति पहुँचे। इसी तरह चार राहत कैंपों में लगभग तीन हज़ार पशुआं को रखा गया। 22 जिलों में औसतन 317.63 एम.एम बारिश पड़ी जिससे 18 जि़लों के 544 गाँवों को नुकसान हुआ और 13,635 व्यक्ति प्रभावित हुए।