कश्मीर की आजादी के बिना भारत की आजादी पर हमेशा प्रश्न चिन्ह लगता था तथा इस विषय पर बड़े-बड़े नेता इकट्ठे होते थे तथा चर्चा होती थी लेकिन अंत में यही निष्कर्ष निकलता था की कश्मीर से धारा 370 हटाना अब बहुत मुश्किल, उक्त शब्द भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने जिला भाजपा द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि हर कोई इसके परिणामों को लेकर भयभीत रहता था। लेकिन जिस बुद्धिमता के साथ 370 को खत्म किया गया न पाकिस्तान को पता लगा और न विपक्ष को सभी लोग हैरान हो गए इतना बड़ा फैसला और किसी को कोई खबर तक न लगे। उन्होंने कहा कि इतनी व्यवस्था इतना होमवर्क करके जिस प्रकार से इसे हटाया गया सभी हैरान हो रहे थे पार्टी के बड़े बड़े नेता हैरान हो रहे थे कि बिल को सीधा राज्यसभा में क्यों लेकर जा रहे थे जहां बिल को पास करवाने में कठिनाई होती है। लोकसभा में करवा लेते जहां भाजपा को पूर्ण बहुमत है। लेकिन शांता कुमार ने कहा कि इस विषय को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई थी तथा राज्यसभा में अपना बहुमत बना लिया था 11:30 बजे बिल पेश तथा शाम तक पास हो गया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष को संभलने का मौका ही नहीं दिया गया तथा अब लगता है कि आजादी आज पूरी हुई है । उन्होंने कहा कि हंसी अभी खत्म नहीं हुई थी जशन अभी मना नहीं पाए थे एक और राजनीतिक क्षति सुषमा स्वराज के रूप में देश को हुई। शांता कुमार ने कहा कि उन्होंने जो अंतिम क्षण से पहले बात कही वह राष्ट्रभक्ति को दर्शाती है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया तथा कहा कि वह इस क्षण की कब से प्रतीक्षा कर रही थी प्रतीक्षा पूरी हुई और वह चली गई । शांता कुमार ने कहा कि सुषमा स्वराज पार्टी का वात्सल्य, ममता और स्नेह थी। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी विशेषता संवेदनशीलता विदेश मंत्रालय को इस रूप में कभी भी नहीं देखा गया।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय यह भी काम कर सकता कुछ घटनाएं पहले भी घटी होंगी बाहर रहने वाले लोगों की सहायता की गई होगी लेकिन जिस रूप में इस बार दुनिया के किसी देश में 240 देश दुनिया में है किसी देश में कोई भारत के लोग परेशानी में हो उसकी परेशानी न केवल दूर की गई बल्कि उन्होंने अपने मंत्रालय में इसके लिए एक अलग से सैल की व्यवस्था की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि सब कामों से जरूरी यह काम है । शांता कुमार ने कहा कि मुझे याद है कि कई बार मैंने उनको पत्र लिखा की इस गांव का यह व्यक्ति मुश्किल में है एकदम से जवाब आता था हमने पता कर लिया है अभी तक उसका पता नहीं चला लेकिन हमारा विदेश मंत्रालय ढूंढ रहा है तथा पता लगने के बाद बताते थे कि ढूंढ लिया गया है अगर कहीं खर्च करना पड़ा तो खर्च भी किया जाता था। उन्होंने कहा कि ऐसे एक नहीं हजारों लोगों की मदद की गई उनको निकाला गया उनको यहां लाया गया । विदेश मंत्रालय का सारा काम जिस योग्यता के साथ उन्होंने किया वह काबिले तारीफ था तथा पार्टी के प्रति भी वह समर्पित थी। उन्होंने कहा कि सबसे पहले चंडीगढ़ में मैं उनके साथ मिला था जब 1977 में मैं मुख्यमंत्री बना तथा सुषमा स्वराज पहली बार विधायक तथा कैबिनेट मंत्री बनी थी चंडीगढ़ में गीता जयंती के कार्यक्रम में मुझे भी बुलाया गया था तो था उस समय पहला परिचय उनके साथ हुआ था उसके बाद वे हिमाचल की प्रभारी भी रही सब के प्रति उनके मन में हमेशा स्नेह का भाव रहता था। उन्होंने कई बार अपने भाषणों में भी कहा कि अगर विदेश मंत्रालय में वह लोगों को लाने तथा उनकी पीड़ा में शामिल होती रही तो उसका कारण वह एक महिला थी तथा उनके मन में लोगों के प्रति स्नेह था। भारतीय जनता पार्टी के लिए उन्होंने जिस प्रकार से कार्य किया उसमें उनका जीवन एक आदर्श जीवन रहा है आदर्श कार्यकर्ता तथा आदर्श विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने काम किया है। उन्होंने जो महत्वपूर्ण घटना घटी उसमें उन्होंने अपने अंतिम क्षण में जो यह कहा कि वह इस पल का इंतजार कर रही थी वह अपने आप में एक अनोखी घटना है तथा देश भक्ति को दर्शाता है। इस अवसर पर जिला प्रभारी राकेश शर्मा ने कहा कि उनके साथ कई बार कार्य करने का मौका मिला है तथा ऐसा लगता नहीं था कि वह कोई बहुत बड़ी नेत्री है जबकि ऐसा लगता था कि वह एक परिवार का सदस्य है। जिला अध्यक्ष विनय शर्मा ने कहा कि जो पार्टी के लिए तथा देश के लिए सुषमा स्वराज ने किया उसके कारण न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि पूरा देश उनकी याद में गमगीन है। इस अवसर पर सभी कार्यकर्ताओं द्वारा उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी गई तथा जिला के व मंडलों के पदाधिकारियों ने भी अपने विचार रखे।