अवशेष का उचित लाभ लेते हुये मंडी गोबिन्दगढ़ की इंडक्शन फरनेस इकाईयों के मालिक रिवायती भट्टियों की जगह नये वायु प्रदूषण कंट्रोल उपकरण लगा कर साईड हूड संकशन सिस्टम में इक_े होते अवशेष से पैसे कमा रहे हैं। यह जानकारी डायरैक्टर, तन्दुरुस्त पंजाब मिशन के.एस. पन्नू ने दी।इस संबंधी जानकारी देते हुये उन्होंने बताया कि बैग फिल्टर्ज़ हाऊस वाले साईड हूड संकशन सिस्टम रिवायती इंडक्शन भट्टियों की अपेक्षा कहीं बेहतर वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरण है। यह सिस्टम पंजाब स्टेट काऊंसिल फॉर साईंस एंड तकनोलीजी, चंडीगढ़ की सहायता से डिज़ाइन किया गया है जो 5 से 6 गुणां ज़्यादा धूल सोखता है। उन्होंने बताया कि पहले अधिकतर धूल का निकास पर्यावरण में होता था और बहुत थोड़ी मात्रा में ही राख होती थी। श्री पन्नू ने कहा कि इंडक्शन फरनेस इकाईयों के मालिकों को इस राख से छुटकारा पाने के लिए इसके निपटारे समेत अन्य खर्च अपनी जेब में से करने पड़ते थे।स. पन्नू ने कहा कि तंदुरुस्त पंजाब मिशन के अंतर्गत इन इकाईयों के मालिकों को वायु प्रदूषण नियंत्रण यंत्र के तौर पर बैग फि़ल्टर हाऊस वाले साईड हूड संकशन सिस्टम लगाने के निर्देश दिए गए जो रिवायती प्रणाली की अपेक्षा कई गुणा ज़्यादा धूल सोखते हैं। उन्होंने कहा कि यह बदलाव इंडक्शन फरनेस इकाईयों के मालिकों और पर्यावरण प्रेमियों, दोनों के लिए और अधिक लाभप्रद है।
और जानकारी देते हुये मिशन डायरैक्टर ने बताया कि अब इंडक्शन फरनेस इकाईयों के मालिक अपनी इकाईयों में बड़ी मात्रा में इक_ी हुई राख बेच कर प्रति किलो राख के पीछे 3 रुपए कमा रहे हैं जोकि मिश्रित धातु बनाने वाली कंपनियां खरीद रही हैं। इसके साथ ही शहर का वायु प्रदूषण की समस्या से भी बचाव हो रहा है।उन्होंने कहा कि नवीन वायु प्रदूषण कंट्रोल उपकरण में एकत्रित हुयी राख में 25 से 35 प्रतिशत जिंक की मात्रा होती है, इसलिए इसको भगवानपुरा, अमलोह की कंपनी यहां से एकत्रित कर रही है जिसके द्वारा इस राख में से जिंक की प्राप्ति के लिए इसका प्रयोग अपने वेस्ट रीसाइकलिंग डिविजऩ में कच्चे माल के तौर पर किया जाता है, इस तरह इस कंपनी द्वारा भी अवशेष से कमाई की जा रही है।स. पन्नू ने कहा कि मंडी गोबिन्दगढ़ क्षेत्र जिसको केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अत्याधिक प्रदूषित क्षेत्र माना गया था, वह अब तेज़ी से इस समस्या में से निकल कर सफ़ाई की ओर रूख कर रहा है।70 प्रतिशत से अधिक इंडक्शन फरनेस इकाईयां रिवायती भट्टियों से साईड हूड संकशन सिस्टम में तबदील हो गई हैं।मौजूदा समय खन्ना क्षेत्र की इकाईयों समेत 92 इंडक्शन फरनेस इकाईयों में से 65 उद्योग पुरानी भट्टियों से नये वायु प्रदूषण कंट्रोल उपकरणों में तबदील हो गये हैं। बाकी बचे उद्योग भी अपने उपकरणों की अपग्रेडेशन कर रहे हैं और 80 से 90 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। तंदुरुस्त पंजाब मिशन के डायरैक्टोरेट को उम्मीद है कि इस नवीन प्रणाली को अपनाने से वायु की गुणवत्ता में काफ़ी सुधार आऐगा।