मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), एन.आर.एल.एम, आर-अर्बन, पी.एम.जी.एस.वाई., एन.एस.ए.पी., पी.एस.डी.एम.एस और केंद्र द्वारा प्रायोजित विभिन्न स्कीमों की प्रगति का जायज़ा लेने के लिए भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय, नयी दिल्ली के सचिव श्री अमरजीत सिन्हा ने आज पंजाब भवन में पंजाब सरकार के अधिकारी के साथ मुलाकात की। श्री करण अवतार सिंह मुख्य सचिव पंजाब, श्री तेजवीर सिंह प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री पंजाब, श्री अनिरुद्ध तिवारी प्रमुख सचिव वित्त विभाग, श्री संजय कुमार एसीएस और डी.के तिवारी प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास विभाग और श्री जसकिरन सिंह डायरैक्टर ग्रामीण विकास विभाग ने इस मीटिंग में शिरकत की।पंजाब के ग्रामीण विकास विभाग की संयुक्त विकास कमिश्नर श्रीमती तनु कश्यप ने वित्तीय वर्ष 2019 -20 की पहली तिमाही के दौरान मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), एन.आर.एल.एम, आर-अर्बन में हुए विकास सम्बन्धी एक संक्षिप्त प्रस्तुति पेश की। श्रीमती राजी पी श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग ने राष्ट्रीय सामाजिक सहायता प्रोग्राम (एन.एस.ए.पी) पर आधारित प्रस्तुति पेश की, श्री हुसन लाल, सचिव पीडब्ल्यूडी ने प्रधान मंत्री ग्राम सडक़ योजना (पी.एम.जी.एस.वाई) सम्बन्धी पेशकारी दी और श्री सुखविन्दर सिंह ए.एम.डी, पी.एस.डी.एम. ने दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना सम्बन्धी पेशकारी दी। इस दौरान जल सप्लाई और सेनिटेशन विभाग के सचिव श्रीमती जसप्रीत तलवार ने मनरेगा संबंधी अपने विचार पेश किये और सामाजिक सुरक्षा विभाग के डायरैक्टर श्रीमती गुरप्रीत कौर सपरा ने सामाजिक सुरक्षा स्कीमों सम्बन्धी अपने सुझाव पेश किये।
मरजीत सिन्हा ने इन स्कीमों के अंतर्गत हुए विकास की प्रशंसा करते हुए भरोसा दिलाया कि केंद्र द्वारा चलाई जा रही इन स्कीमों की प्रगति में निधी की कमी को बाधा नहीं बनने दिया जायेगा। उन्होंने पंजाब में पानी के गिर रहे स्तर के मुद्दे संबंधी प्रकाश डाला और जल पूर्ति और संभाल सम्बन्धी नयी योजनाएं तैयार करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियां मनरेगा के अंतर्गत की जानी चाहीए। सचिव ने आपात स्थितियों से निपटने के लिए राज्य स्तर पर फंड जुटाने की सलाह भी दी। उन्होंने बताया कि बहुत जल्द राज्य को मनरेगा के लिए मटीरियल फंड जारी कर दिए जाएंगे। विचार-विमर्श के दौरान यह प्रस्ताव रखा गया कि कुशल और अर्ध-कुशल कामगारों की तनख़्वाह, जो कि मौजूदा समय में मटीरियल कम्पोनेंट (40 फीसद) का हिस्सा है को लेबर कम्पोनेंट (60 फीसद) में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह मुद्दा विचाराधीन है। एमओआरडी के सचिव ने एस.एच.जी के क्रेडिट लिंकेज को बड़े स्तर पर किये जाने की इच्छा जताई क्योंकि राज्य का बैंकिंग क्षेत्र काफ़ी मज़बूत है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में और फंडों का निवेश किया जा सकेगा जिससे गाँवों का सर्वपक्षीय विकास होगा। सचिव को प्रधानमंत्री आवास योजना (जी) के अंतर्गत लक्ष्य को बढ़ाने की विनती की गई जिस संबंधी उन्होंने सकारात्मक रूख अपनाते हुए इस संबंधी एमओआरडी को लिखित विनती भेजने के लिए कहा। उन्होंने राज्य में पीएमजीएसवाई के अंतर्गत किये गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्य को मध्य प्रदेश में किये जा रहे कार्यों जैसी गुणवत्ता लानी चाहिए।