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वर्ष 2022 से पहले प्राकृतिक कृषि राज्य बनकर उभरेगा हिमाचल : आचार्य देवव्रत

उत्तराखण्ड में लागू की जाएगी प्राकृतिक कृषि : बेबी रानी मौर्य

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नौणी, सोलन , 03 Jul 2019

हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के तहत पद्मश्री सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के अंतर्गत डॉ. वाई. एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन में छः दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आज शिविर के समापन समारोह की अध्यक्षता उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत और नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार उपस्थित थे। इसके अलावा, इस छः दिवसीय शिविर में प्रशिक्षक के तौर पर पद्मश्री सुभाष पालेकर भी उपस्थित थे।इस अवसर पर, आचार्य देवव्रत ने प्रशिक्षण शिविर में आने पर उत्तराखण्ड की राज्यपाल और नीति आयोग के उपाध्यक्ष का आभार व्यक्त किया। उन्होंने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को बधाई देते हुए कहा कि सरकार बनते ही उन्होंने इस कृषि पद्धति को पहचाने और सहयोगी बने। पिछले वर्ष 500 किसानों को इस पद्धति से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था, जबकि पौने तीन हजार किसान इससे जुड़े। इसी प्रकार, इस वर्ष 50 हजार किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस शिविर के आयोजन से करीब 1000 किसान प्रशिक्षक बनकर जाएंगे, जो ग्राम स्तर पर इसका प्रचार सुनिश्चित बनाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2022 से पहले हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक कृषि राज्य बन जाएगा। उन्होंने कहा कि इस शिविर में प्रदेश के 9 जिलों से करीब 1000 किसानों व बागवानों ने भाग लिया और यह सुभाष पालेकर का राज्य में चौथा शिविर है।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने सुझाव दिया कि हिमालयी क्षेत्र की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए, विशेषज्ञों को सभी हिमालयी राज्यों के लिए प्राकृतिक खेती से संबंधित एक संयुक्त मंच की स्थापना के प्रयास करने चाहिए। इस संयुक्त मंच के माध्यम से सभी पर्वतीय राज्य प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में श्रेष्ठ अनुभवों को सांझा कर सकते हैं। 

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के इन अनुभवों के आधार पर वह उत्तराखण्ड में प्राकृतिक कृषि को लागू करने व इसके विस्तार के लिए प्रयास करेंगी ताकि वहां पर भी इस कृषि पद्धति का लाभ मिल सके।इस अवसर पर, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के आह्वान को पूरा करने के लिए हम हर स्तर पर प्रयासरत है। हाल ही में, प्रधानमंत्री ने उन्हें स्वयं प्राकृतिक कृषि के मॉडल को जानने के लिए राज्यपाल आचार्य देवव्रत की सिफारिश की। प्रधानमंत्री संसद तक में इस कृषि पद्धति की चर्चा कर चुके हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि नीति आयोग द्वारा इस कृषि पद्धति के लिए जितना संभव होगा, करेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए केवल सरकार पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। इसे जन आंदोलन बनाने की जरूरत है, जिसका नेतृत्व हिमाचल कर रहा है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि इस पद्धति को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया जाए, जिसपर हमें विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को अर्थव्यवस्था का आधार बनाया जा सकता है। इस दिशा में ईमानदारी से प्रयास किए जाएं तो हम कृषि के निर्यातक देश बनकर उभर सकते हैं और इससे हमारी अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी।इस अवसर पर, पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि किसानों के मज़बूत इरादों व सहयोग से हम प्राकृतिक कृषि की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।इससे पूर्व, प्राकृतिक कृषि परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया।परियोजना के कार्यकारी निदेशक राजेश्वर चंदेल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।इससे पूर्व, प्राकृतिक कृषि कर रहे किसानों व बागवानों ने अपने अनुभव सांझा किए।इस मौके पर, जी.एन.जी एग्रीटेके एंड वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सुरेन्द्र कुमार अग्रवाल तथा लारजेस्ट एग्रो रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष नितिश नरूला ने भी किसानों को संबोधित किया। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि प्रदेश में तैयार प्राकृतिक उत्पादों को वह किसानों से डेढ़ गुणा दामों पर खरीद करेंगे, जिन्हें प्रमोटरों के माध्यम से विदेशों में निर्यात किया जाएगा। इससे किसानों की आय तो बढ़ेगी ही साथ ही उन्हें आसानी से बाजार भी उपलब्ध होगा।राज्यपाल के सलाहकार डॉ. शशिकांत शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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