स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आज नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कहा, ‘भारत ने सभी स्तरों की स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने और उपयुक्त डिजिटल स्वास्थ्य उपायों को शामिल करने के लिए डिजिटल समावेश अवधारणा को अपनाया है।’ श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने इस संगोष्ठी के एक हिस्से के रूप में ‘डिजिटल स्वास्थ्य’ पर आयोजित प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। इस संगोष्ठी में प्रतिभागी देशों के साथ-साथ विभिन्न सरकारी मंत्रालयों, राज्यों और अन्य हितधारकों ने भी महत्वपूर्ण अभिनव खोजों, कार्यान्वयन से जुड़े अनुभवों और नवीन डिजिटल स्वास्थ्य उपायों को प्रदर्शित किया।इससे पहले दो दिवसीय वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य साझेदारी (जीडीएचपी) शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस शिखर सम्मेलन में अन्वेषकों, चिकित्सीय हस्तियों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े प्रतिष्ठानों, सरकारी प्रतिनिधियों, अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय तकनीकी विशेषज्ञों, उद्यमियों और शोध समुदाय को व्यापक स्तर पर आपस में संवाद करने का उत्तम अवसर मिला।अनुप्रिया पटेल ने यह भी कहा कि सरकार की नीतियों में एक अनिवार्यता के रूप में ऐसी स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल करने पर फोकस किया गया है जो किफायती एवं सहज होने के साथ-साथ सभी नागरिकों को आसानी से उपलब्ध हों। उन्होंने कहा, ‘हम विभिन्न उपायों के जरिए प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने में सफल रहे हैं। इसी के मद्देनजर हम डिजिटल स्वास्थ्य उपायों से लाभ उठा रहे हैं, ताकि लोगों को इनका अधिकतम लाभ मिल सके।’नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि भारत डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऊंची छलांग लगाने को तैयार है। डॉ. पॉल ने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, ‘सरकार शीघ्र ही भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संचय (स्टैक) का अनावरण करेगी। सरकार ने ऐसी डिजिटल क्रांति के सूत्रपात पर अपना ध्यान केन्द्रित किया है जिसमें राष्ट्रीय पोषण मिशन, टेलीमेडिसिन एवं अन्य उपाय शामिल होंगे और इसके तहत आकांक्षी जिलों पर फोकस किया जाएगा। हमने वर्ष 2022 तक सभी 130 करोड़ भारतीयों के डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड सुनिश्चित करने की परिकल्पना की है।’