पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा 31000 करोड़ रुपए के लम्बित पड़े अनाज खाते के हल के लिए लगातार की जा रही कोशिशों को उस समय पर समर्थन पड़ा जब 15वें वित्त आयोग ने इसका जायज़ा लेने और हल के लिए कमेटी का गठन कर दिया।एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार आयोग के चेयरमैन एन.के.सिंह ने पंजाब सरकार के साथ हाल ही में की गई एक मीटिंग के दौरान इस मुद्दे की गंभीरता को स्वीकृत किया था और उन्होंने आज इस संबंधी कमेटी का गठन करने के लिए नोटिफिकेशन जारी करने के लिए मंजूरी दे दी।मुख्यमंत्री ने इसका स्वागत करते हुए उम्मीद प्रकट की है कि 30584 करोड़ रुपए के कर्ज़े से सम्बन्धित मुद्दा जल्द ही हल हो जायेगा जोकि राज्य के लिए बड़ा वित्तीय संकट बना हुआ है। 15वें वित्त आयोग के मैंबर और नीति आयोग के मैंबर रमेश चंद के नेतृत्व वाली इस कमेटी को अपनी रिपोर्ट 6 हफ़्तों में पेश करने के लिए कहा गया है।इस कमेटी के दूसरे सदस्यों में खाद्यऔर सार्वजनिक वितरण केंद्रीय सचिव रविकांत, व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय केंद्रीय अतिरिक्त सचिव राजीव रंजन, वित्त मंत्रालय के वित्त सेवाओं के विभाग के अतिरिक्त सचिव रवि मित्तल और पंजाब के मुख्य सचिव करन अवतार सिंह शामिल हैं। 15वें वित्त आयोग के ज्वाइंट सचिव रवि कोटा इसके मैंबर सचिव होंगे।यह कमेटी पंजाब सरकार के कर्ज़े संबंधी उन सभी पक्षों का अध्ययन करेगी जो भारतीय खाद्य निगम /खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के हवालों के साथ सी.सी.एल के रूप में एकत्रित हुआ है। यह कमेटी इसके उचित हल की भी सिफारिश करेगी जो सभी दावेदारों और पंजाब सरकार के लिए उपयुक्त और निष्पक्ष होगा। विरासती कर्ज़े के कारण कजऱ् स्टाक और सेवा लागतों के बढऩे के कारण पैदा हुई वित्तीय चुनौतियों से निपटने के लिए भी इससे राज्य समर्थ होगा।
सी.सी.एल के अंतर के मौजूदा एकत्रिकरण के मुद्दे का जायज़ा लेने के लिए इस कमेटी को कहा गया है। इस अंतर के बुनियादी कारणों का पता लगाने के लिए सी.सी.एल अंतर से सम्बन्धित मौजूदा कारणों (विरासती कजऱ् बोझ के अलावा) का भी जायज़ा लिया जायेगा। यह कमेटी इस के हल के लिए उचित कदमों की भी सिफ़ारिश करेगी जिससे यह यकीनी बनाया जा सके कि क्रमवार चलने वाले खरीद सीजऩों में सी.सी.एल अंतर मौजूद न रहे।आयोग के हाल ही के पंजाब दौरे के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा इस कर्ज़े की गंभीरता को आयोग के सामने लाया गया था जिससे पंजाब में केंद्रीय पुल के लिए अनाज की खरीद से सम्बन्धित एक दशक से भी अधिक समय में सी.सी.एल अंतर एकत्र होकर सामने आया था। यह अंतर उस समय की शिरोमणि अकाली दल -भाजपा सरकार की तरफ से पैदा किया गया था जिसने अपने काल के आखिरी समय के दौरान सी.सी.एल अंतर को केंद्र सरकार के कहने पर राज्य के लिए लंबे मियादी कजऱ् में तबदील करना मंजूर कर लिया था। इसने वर्ष 2016 -17 में राज्य के जी.एस.डी.पी के 12.34 प्रतिशत वित्तीय घाटे का प्रसार कर दिया। इस राशि पर सितम्बर 2034 तक प्रति वर्ष 3240 करोड़ रुपए की कजऱ् सेवाएं होंगी। इसके नतीजे की वजह से कजऱ् के पुन: भुगतान तक यह राशि 57358 करोड़ रुपए होगी। राज्य सरकार ने 15वें वित्त आयोग के पास अपना मुद्दा पेश करते हुए उसे यह मामला हमदर्दी पूर्ण विचारने के लिए कहा था और राज्य के लिए उचित कजऱ् राहत पैकेज की माँग की थी क्योंकि इसी कारण राज्य गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। इसी कारण कजऱ् सेवाओं की देनदारी कुल कजऱ् से भी अधिक हो गई।