चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने आज डा. जी.सी. नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय में ‘‘लघु मुर्गी पालकों की भूमिका’’ पर एक महीने तक चलने वाले दीर्घकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाट्न किया।प्रतिभागियों व वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि वर्तमान समय में किसी भी व्यवसाय में सफल होने के लिए व्यहारिक वैज्ञानिक ज्ञान व कौशल का होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केन्द्र व हिमाचल प्रदेश सरकार ने किसानों के सामाजिक व आर्थिक स्तर सुधारने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रायोजित किए हैं। उन्होंने किसानों से कहा कि वे मुर्गीपालन के सभी पहलूओं को ध्यानपूर्वक सीख लें ताकि प्रशिक्षण के बाद ली जाने वाली परीक्षा में वे सफल हो सकें क्योंकि एक महीने के प्रषिक्षण के बाद किसी दूसरी एजैंसी द्वारा प्रतिभागियों की परीक्षा लेकर उनके कौषल सम्बर्द्धन का मूल्यांकन किया जाएगा तथा प्राप्त प्रमाणपत्र उन्हें उन्हें बैंक से ऋण लेने में भी सहायता करेगा। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि वे मार्गदर्शन व किसी भी समस्या के लिए सत्त सम्पर्क में रहें। डा. जी.सी. नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के डीन डा. मनदीप शर्मा ने बतौर विशिष्ट अतिथि किसानों से कहा कि वे मुर्गीपालन कौशल सीखकर सफल उद्यमी बनें क्योंकि इस समय प्रदेश में प्रोटीन से भरपूर अण्डों व पोल्ट्री मीट की बहुत ज्यादा मांग है। उन्होंने जानकारी दी कि इसी तरह का एक प्रशिक्षण कार्यक्रम डेयरी फार्मिंन्ग पर भी आयोजित किया गया था।
प्रसार शिक्षा निदेशक डा. यशपाल ठाकुर ने कहा कि ये प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कौशल परिषद् द्वारा प्रायोजित किए गए हैं। परिषद् द्वारा प्रायोजित 11 प्रशिक्षण कार्यक्रमों में यह अन्तिम प्रशिक्षण था और सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलता से आयोजित हुए हैं। डा. ठाकुर ने मुर्गीपालन के महत्व पर विस्तार से चर्चा की और जानकारी दी कि मुर्गीपालन के सफल प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षणार्थी अपना मुर्गीपालन व्यवसाय शुरू कर सकते हैं तथा सरकार की कई योजनाओं के अन्तर्गत लाभ ले सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम निदेशक डा. ए.के. पाण्डा ने जानकारी दी कि प्रदेश भर से 240 घण्टे के इस कार्यक्रम में 20 पशुपालक भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर डा. देवेश ठाकुर व मनोज शर्मा ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर कुलपति ने डेयरी फार्मिंन्ग पर एक पुिस्तका का भी विमोचन किया। उद्घाटन अवसर पर डीन कृषि महाविद्यालय डा. पी.के. मेहता, प्रो. एमिरेटस डा. जगतार गुलेरिया, सूचना व जन-सम्पर्क के संयुक्त निदेशक डा. हृदयपाल सिंह, वैज्ञानिक व कुछ विद्यार्थी भी उपस्थित थे।इसके उपरान्त आज ही कृषि विज्ञान केन्द्र कांगड़ा में बतौर मुख्य अतिथि कुलपति ने ‘‘लघु मुर्गी पालकों की भूमिका’’ पर एक महीने तक चले प्रशिक्षण कार्यक्रम के उपरान्त समापन समारोह की अध्यक्षता की और प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित किया तथा उन्हें प्रमाणपत्र दिए। कार्यक्रम के समापन समारोह में प्रसार शिक्षा निदेशक डा. यशपाल ठाकुर, कृषि विज्ञान केन्द्र कांगड़ा के कार्यक्रम समन्वयक डा. विशाल डोगरा, पाठ्यक्रम निदेशक डा. राकेश ठाकुर तथा अन्य प्रसार विशेषज्ञ उपस्थित थे।