चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने यहां से 28 कि.मी. दूर ग्राम पंचायत सुआं में किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया।इस कार्यक्र्म में मुख्य अतिथि जयसिंहपुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रविन्द्र कुमार धीमान रहे। उन्होंने लगभग 500 किसानों व महिला किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा कि विकास खण्ड पंचरूखी व लम्बागांव महत्वकांक्षी बागवानी योजना में सम्मिलित किए गए हैं। उन्होंने आशा जताई कि अधिक से अधिक किसान इस योजना व इसी तरह की अन्य योजनाओं से लाभ उठाने के लिए आगे आएंगे ताकि वे कृषि उपज में वृद्धि कर सकें। धीमान जो कि विश्वविद्यालय के सीनेट के सदस्य भी हैं ने बेसहारा छोड़े गए पशुओं तथा उनके प्रति लोगों के उतरदायित्व पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि रसायनों के अन्धाधुन्ध प्रयोग से खाद्य-फसलों व मिट्टी में जहर फैल रहा है। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए उन्हें शिक्षित करें। मुख्य अतिथि ने किसानों की समस्याओं के निवारण हेतू प्रदेश सरकार के प्रयासों पर भी विस्तार से जानकरी दी। कार्यक्र्म की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने वर्तमान सरकार की कृछ महत्वकांक्षी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि 9599 करोड़ रूपये लागत वाली सिंचाई योजनाओं में प्रधानमन्त्री कृषि सिंचाई योजना (हर खेत को पानी-प्रत्येक बंूद से ज्यादा फसल), जल से कृषि को बल, प्रवाह जल सिंचाई योजना तथा सौर ऊर्जा सिंचाई योजना इत्यादि कुछ प्रमुख योजनाएं हैं जिनके क्रियान्वयन से कृषि में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेंगे।कुलपति ने कहा कि इन परियोजनाओं के आगामी पांच वर्षों में मुकम्मल होने के बाद यह अनुमान है कि इनसे प्रदेश का लगभग 3.25 लाख हैक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र सिंचाई के अन्र्तगत आ जाएगा जिससे फसल उत्पादन में ढाई से तीन गुणा ज्यादा वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि चैधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने भी जल संग्रहण व भण्डारण तथा इसके सदुपयोग हेतू कई नवीनतम तकनीकें विकसित की हैं। उन्होंने कहा कि गैर सिंचित क्षेत्रों की तुलना में सिंचित क्षेत्रों में ढाई गुणा ज्यादा फसल उत्पादन होता है। अतः ये तकनीकें किसानों तक पहंुचनी चाहिए जिससे किसानों की आय बढ़ेगी तथा किसान परम्परागत खेती से आधुनिक खेती की ओर विमुख होंगे।
इस अवसर पर प्रसार शिक्षा निदेशक डा. यशपाल ठाकुर ने किसानों से कहा कहा कि कृषि की नई तकनीकों से लाभ लेने के लिए वे विश्वविद्यालय तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों के सतत सम्पर्क में रहें। उन्होंने जानकरी दी कि प्रसार शिक्षा निदेशालय ने गत एक वर्ष में किसानों के लिए लगभग 2000 प्रषिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जिनसे लगभग 50,000 किसानों ने लाभ उठाया। शोध निदेशक डा. दिनेश कुमार वत्स ने कार्यक्रम में कृषि यान्त्रिकरण पर अपने विचार रखे।कार्यक्रम में कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा. एन. के. बधान व कृषि उपनिदेशक जिला कांगड़ा डा. एन.के. धीमान ने किसानों के लिए सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। इस अवसर पर सूबेदार अमीचन्द ने मुख्य अतिथि श्री धीमान, कुलपति प्रो. सरयाल तथा अन्य अधिकारियांे का स्वागत किया। पंचायत प्रधान श्री सुदर्शन सिंह ने इस दूरदराज क्षेत्र में कार्यक्रम आयोजित करने हेतु विश्वविद्यालय के अधिकरियों का धन्यवाद किया। पंचायत समिति के सदस्य श्री प्रदीप सरयाल, प्रोफैसर एमिरेटस डा. जगतार गुलेरिया, पुस्तकालयाध्यक्ष डा. ए.के. बसन्दराय, जैविक व प्राकृतिक खेती विभाग के विभागाध्यक्ष डा. जे.पी. सैनी, कृषि अभियान्त्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. आर.के. गुप्ता, कृषि विज्ञान केन्द्र कांगड़ा के कार्यक्रम समन्वयक डा. विशाल डोगरा, विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक व अधिकारी तथा अन्य विकास समबन्धित विभागों के अधिकारियों और सुआं जालग, आषापुरी व रोपड़ी गावों की पंचायतों के लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया।कार्यक्र्म में नव-कृषि तकनीकों व प्राकृतिक खेती पर एक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। किसानों ने तकनीकी सत्र में वैज्ञानिकों के साथ कृषि व पशुपालन पर चर्चा की और विशेषज्ञों से समस्याओं के समाधान पूछे।इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक रविन्द्र कुमार धीमान ने प्रगतिशील किसानों अमीचन्द, प्रदीप कुमार, सुभाष सिंह, अशोक कुमार, सुरेन्द्र कुमार, कर्मचन्द, दलेर सिंह, कुमेर सिंह, रमेश चन्द व श्रीमति केसरी देवी को भी सम्मानित किया।कार्यक्रम से पूर्व मुख्य अतिथि विधायक श्री रविन्द्र कुमार धीमान ने सुआं पंचायत में 7.8 हैक्टेयर क्षेत्र के लिए मुख्यमन्त्री खेत सुरक्षा योजना के अन्तर्गत लगाई गई 20.53 रू. लागत की 1980 मीटर लम्बी सामुदायिक सोलर फैंसिंन्ग बाड़े का भी उद्घाटन किया।