आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद नाइक ने 20 दिसंबर, 2018 को नई दिल्ली में चिकित्सा की परंपरागत और वैकल्पिक प्रणालियों के वैश्वीकरण के बारे में 15 देशों के राजदूतों/उच्चायुक्तों के साथ एक बैठक आयोजित की। इस बैठक का समन्वय केन्द्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद ने किया। इस बैठक में भूटान, संयुक्त अरब अमीरात, क्यूबा, ईरान, घाना, हंगरी, त्रिनिदाद, ओमान, इक्वेटोरियल गिनी, श्रीलंका, नेपाल, स्विट्जरलैंड, मॉरीशस, बांग्लादेश और ब्रिटेन के राजदूत/उच्चायुक्त शामिल हुए।इस बैठक में लोगों की स्वास्थ्य देखभाल में परम्परागत और पूरक प्रणालियों (टीएम और सीएम) द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में ध्यान केन्द्रित किया गया। इसके अलावा गैर-संचारी बीमारियों की रोकथाम के संबंध में दुनिया भर में बहुत कम लागत पर आधुनिक दवाइयों के साथ-साथ स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के संबंध में भी ध्यान दिया गया।इस बैठक में शामिल होने वाले राजदूतों, उच्चायुक्तों और प्रतिनिधियों ने व्यक्तियों और राष्ट्रीय राजकोष के लिए भारी-भरकम स्वास्थ्य देखभाल खर्च को कम करने के लिए गैर-संचारी बीमारियों का मुकाबला करने में आधुनिक चिकित्सा के साथ टीएम और सीएम के सतत एकीकरण की जरूरत को स्वीकार किया। बैठक में इस बारे में सर्वसम्मति थी कि सभी हितधारक देशों को मानवता की भलाई के लिए परम्परागत चिकित्सा प्रणालियों के वैश्वीकरण के लिए मिलकर काम करना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए यह माना गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बीमारियों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीडी) में आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध जैसी भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को शामिल किया जाए।राष्ट्रीय स्तर पर ‘नमस्ते पोर्टल’ के माध्यम से आयुष प्रणाली द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के मात्रा निर्धारण और रिपोर्टिंग को डब्लूएचओ दिशानिर्देशों के अनुरूप आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी (एएसयू) रोगों का कोड़ और मानकीकृत शब्दावलियों का निर्माण करने में मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में भी चर्चा की गई।