डिप्टी कमिश्नर ईशा कालिया ने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से मिशन तंदुरु स्त पंजाब के अंतर्गत फैलाई गई जागरु कता के कारण इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में 63 प्रतिशत धान की पराली को कम आग लगाई गई है। उन्होंने बताया कि 1449 गांवों में 1387 गांवों में धानी की पराली को जलाने का एक भी मामला सामने नहीं आया। उन्होंने प्रगतिशील किसानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने धान की पराली को आग न लगा कर वातावरण हितैषी होने का सबूत दिया है। ईशा कालिया ने बताया कि प्रशासन की ओर से खेतों में धान की पराली को आग लगाने के प्रचलन को रोकने के लिए मिशन तंदुरु स्त पंजाब के अंतर्गत जागरु कता अभियान शुरु गया था, जिसके अंतर्गत कृषि विभाग, प्रदूषण नियंत्रण विभाग व कृषि विकास केंद्र की ओर से की गई गतिविधियों के कारण जिले में फसलों के अवशेष को आग लगाने में कमी आई है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष जिले में धान की पराली को आग लगाने के 324 मामले आए थे जबकि इस वर्ष सेटेलाइट के माध्यम से 171 केस सामने आए जिनमें से 49 केस ऐसे थे जिनमें पराली को आग न लगाए जाने की पुष्टि हुई है। इस मुताबिक केवल 122 मामले ही पराली को आग लगाने के सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड होशियारपुर की ओर से एन.जी.टी की हिदायतों के मुताबिक कार्रवाई की गई है।
डिप्टी कमिश्नर ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला प्रशासन की ओर से शुरु किए गए जागरु कता अभियान के अंतर्गत 597 नोडल अधिकारी व 32 कोआर्डिनेटिंग अधिकारियों सहित 629 अधिकारी व कर्मचारी नियुक्त किए गए थे। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की ओर से धान की पराली का खेत में ही प्रबंधन करने के लिए आधुनिक कृषि मशीनें मुहैया करवाई गई। जिस मुताबिक व्यक्ति गत तौर पर किसानों को 110 कृषि उपकरण जिसमें सुपर एस.एम.एस, हैपी सीडर, रिवर्सिवल एम.बी प्लो, चौपर कम शरैडर, जीरो टिल मशीन 50 प्रतिशत सब्सिडी पर मुहैया करवाई गए। उन्होंने बताया कि उक्त उपकरणों पर करीब 74 लाख रु पये की सब्सिडी दी गई है। उन्होंने बताया कि इसी तरह कृषि विभाग की ओर से किसानों के ग्रुपों को 136 आधुनिक कृषि यंत्र मुहैया करवाए गए हैं, जिनकी सब्सिडी करीब 1 करोड़ 50 लाख रु पये बनती है। उन्होंने बताया कि सहकारिता विभाग की ओर से को-आप्रेटिव सोसायटियों को 306 आधुनिक कृषि उपकरण मुहैया करवाए गए, जिस मुताबिक जिले में कुल 552 आधुनिक कृषि मशीनों से किसानों ने पराली को आग न लगाकर इसका उचित प्रबंधन किया।
उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से 118 गांवों में किसान जागरु कता कैंप लगाए गए, जबकि 304 प्रदर्शनियां लगा कर किसानों को आधुनिक कृषि उपकरणों के बारे में जागरु क किया गया। ईशा कालिया ने बताया कि किसानों को व्हाट्स एप से भी संदेश भेज कर जागरु क किया गया है। इसके अलावा गांवों में विशेष तौर पर मुनादी भी करवाई गई, जबकि स्कूलों में विशेष जागरु कता सेमीनार भी लगाए गए थे। उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से 7 जागरु कता वैन भीचलाई गई जिसके माध्यम से 766 गांवों को कवर करके 1 लाख 32 हजार जागरु कता साहित्य भी बांटा गया। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद की ओर से 283 किसानों को स्पेशल ट्रेनिंग भी दी गई। नाबारड की ओर से 330 व इंडिया पर्यावरण सहायक एन.जी.ओ नई दिल्ली की ओर से 20 किसान जागरु कता कैंप भी लगाए गए। डिप्टी कमिश्नर ने मिशन तंदुरु स्त पंजाब मुहिम के अंतर्गत धान की पराली को जलाने के रु झान पर नकेल कसने में योगदान डालने वाले कृषि विभाग, कृषि विकास केंद्र, प्रदूषण नियंत्रण विभाग, एन.जी.ओ.ज की प्रशंसा करते हुए मीडिया का धन्यवाद भी किया। उन्होंने बताया कि फसलों के अवशेषों को आग न लगाए।