मिजोरम में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहने वाले ललथनहावला का दावा है कि प्रदेश में सरकार के प्रति जनता में कोई नाराजगी का मुद्दा (एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर) इस विधानसभा चुनाव में नहीं है। उनको भरोसा है कि सुशासन और विकास के बूते कांग्रेस पूर्वोत्तर के अपने अंतिम गढ़ में सत्ता में बरकरार रहेगी। विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराकर लगातार तीसरी बार सत्ता में आने को लेकर आश्वस्त ललथनहावला का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वह सत्ता से दूर रखेंगे। पूर्वोत्तर के सात में से छह राज्यों में भाजपा या तो अकेली पूर्ण बहुमत वाली पार्टी के तौर पर या गठबंधन के साथ सत्ता में काबिज है। मुख्यमंत्री ललथनहावला ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "भाजपा की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति से मिजोरम की जनता प्रभावित नहीं होगी। वे भगवा शासन में पड़ोसी राज्यों की तबाही देख रहे हैं। इसलिए सरकार के उस मॉडल को नहीं लाना चाहते हैं।"
उन्होंने कहा, "कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है। लोग यहां कांग्रेस के शासन में खुश हैं। मिजोरम देश में सबसे तीव्र विकास करने वाले देशों में शुमार है और राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) राष्ट्रीय औसत से अधिक है। यहां बुनियादी ढांचा है और नौकरी है। मिजोरम पूवरेत्तर का एकमात्र प्रदेश है जहां शांति है।"उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि ऐसे में भला लोग शांति क्यों भंग करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह द्वारा विकास की बात करने को लेकर उनपर उपहास करते हुए अनुभवी कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी सरकार ने नया जमीन उपयोग कार्यक्रम (एनएलयूपी) और नई आर्थिक विकास नीति (एनईडीपी) चलाई जिससे मिजोरम के लोगों को मालूम हो गया कि सही मायने में विकास का क्या मतलब होता है। उन्होंने कहा, "भारत में लोगों ने सिर्फ मोदी और अमित शाह को विकास की बातें करते सुना है, लेकिन मिजोरम के लोग जानते हैं कि वास्तव में विकास और समृद्धि के क्या मायने हैं।" उन्होंने बताया कि विश्व बैंक समूह और नीति आयोग द्वारा तैयार किए गए स्वास्थ्य सूचकांक में मिजोरम देश के छोटे प्रदेशों में पहले पायदान पर और सभी राज्यों में दूसरे स्थान पर है।
मुख्यमंत्री ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर सांप्रदायिक एजेंडा बनाने का आरोप लगाते हुए 25 दिसंबर को सुशासन दिवस करने को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "हमारा ईसाई समुदाय बहुल राज्य है। ऐसे में जाहिर है कि त्योहार बाधित होने से लोग परेशान होते हैं। यह जानबूझकर किया गया है। उन्होंने क्रिसमस को सुशासन दिवस के रूप में क्यों चुना? क्या वे दशहरा को इसी तरह के दिवस के रूप में घोषित करेंगे?"उन्होंने कहा, "पूरा देश जानता है कि भाजपा धन बल का इस्तेमाल करके पूर्वोत्तर में सत्ता में आई है। वे लोगों को खरीदने के मकसद से निधियों और काफी सारे पैसे उड़ेल रहे हैं। मुकाबला धन बल और सुशासन व विकास के बीच है। लोग काफी समझदार हैं और जानते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा है।"उन्होंने शराब बेचने और पीने पर दो दशक से जारी प्रतिबंध हटाने को लेकर मिजो नेशनल फ्रंट द्वारा सरकार पर किए हमले पर जवाब देते हुए कहा, "प्रतिबंध बिल्कुल विफल रहा। इससे कालाबाजारी बढ़ गई और लोग नकली शराब के कारण मरने लगे थे। शराब मुक्त समाज की अवधारणा पूरी तरह विफल हो गई। इसलिए हमें प्रतिबंध हटाना पड़ा।"उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस 37 सीटों पर जीत दर्ज करेगी, जोकि 2013 के चुनाव में कांग्रेस को मिली सीटों से तीन सीट अधिक है। मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव में 28 नवंबर को प्रदेश के करीब 7.6 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनमें से चार लाख महिला मतदाता हैं। चुनाव मैदान में 209 उम्मीदवार हैं। चुनाव परिणामों की घोषणा 11 दिसंबर को होगी।