फिल्म 'कुत्ते की दुम' एक कॉमेडी ड्रामा है जिसे हम रोमांस, कॉमेडी और सुपर नेचुरल पॉवर का एक खास पैकेज भी कह सकते हैं जिसका लेखन, संपादन, निर्देशन और यहां तक की संगीत से जुड़ा काम भी सुनील पटेल ने किया है। फिल्म की निर्मात्री हैं सोनिका पटेल। इस पूरी पैकेज को बांध पाना इतना आसान नहीं था, लेकिन निर्देशक ने अपनी तरफ से दर्शकों को रोमांचित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। फिल्म का संगीत औसत है। नए कलाकारों को लेकर फिल्म बनाना इतना आसान नहीं है क्योंकि उन्हें कैमरा एंगल की अधिक जानकारी नहीं होती, जिससे उनके फेस पर एक्सप्रेशन सही तरीके से नहीं आ पाते, पर निर्देशक और सिनेमेटोग्राफर की सूझबूझ ने इस युवा कलाकारों की इस कमज़ोरी को ढक दिया। कॉमेडी ड्रामा में बैकग्राउंड म्यूज़िक असरदार होना चाहिए और संगीत से जुड़ा यह काम प्रभावी तरीके से किया गया है।फिल्म में दर्शकों को हंसाने के लिए डाले गए कुछ संवाद खलल पैदा करते हैं। इसमें संवाद लेखक से कई जगह पर चूक हुई है। यह फिल्म पांच युवाओं को साथ लेकर चलती है जो धार्मिकता से जुड़ी उलझन में फंसे हैं। फिल्म में हर कोई अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने और दूसरों की कीमत पर अपना सपना तलाशने की कोशिशों में लगा रहता है। कुल मिलाकर यह फिल्म कहना चाहती है कि मानवता एक गुण है जिसे किसी भी कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए।