राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि वर्तमान जटिल अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में सुरक्षित सीमाएं भारत की समृद्धि व विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, "सीमा सुरक्षा व आतंरिक सुरक्षा सबसे ज्यादा विचारणीय मुद्दे हैं, क्योंकि यह राष्ट्र की समृद्धि व विकास के लिए विस्तार व अवसर सुनिश्चित करते हैं।" राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख ने कहा, "राष्ट्रों के साथ हमारी सुरक्षा चिंताओं को आंकने व उनका सहयोग प्राप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को घनिष्ठ बनाने के सकारात्मक प्रयास किए गए हैं।" उन्होंने कहा कि सरकार व सशस्त्र बलों ने सभी देशों के साथ मित्रवत संबंध व शांति बनाने रखने की मंशा जाहिर की है। इसमें हमारे पड़ोसी भी शामिल हैं। भागवत ने कहा कि इसके लिए प्रयास जारी हैं और हमारे सशस्त्र बलों को नवीनतम तकनीक वाले हथियारों से सुसज्जित कर उनका मनोबल बढ़ाने पर जोर दिया गया है। यह देश की प्रतिष्ठा वैश्विक रूप से बढ़ने के कारणों में से एक है।
भागवत महाराष्ट्र में आरएसएस के रेशिमबाग मुख्यालय में वार्षिक विजयादशमी समारोह को संबोधित कर रहे थे। भागवत ने कहा कि सशस्त्र बलों व उनके परिवारों की मूल सुविधाओं को सुधारने पर ध्यान दिया जाना चाहिए, जिससे कि वे बिना सामाजिक सुरक्षा की चिंता किए सीमाओं की सुरक्षा के लिए लड़ सकें। उन्होंने कहा कि कुछ प्रशंसनीय कदम सरकार द्वारा उठाए गए हैं, लेकिन इनके क्रियान्वयन में शीघ्रता लाए जाने की जरूरत हैं, क्योंकि यह विभिन्न विभागों जैसे रक्षा, गृह व वित्त से पारित होते हैं। भागवत ने कहा, "इन सभी विभागों को इन बलों के प्रयास के प्रति सम्मान व ज्यादा संवेदनशीलता रखने की जरूरत है।" जमीनी सीमाओं की रक्षा के अलावा आरएसएस प्रमुख ने गतिशील अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम के मद्देनजर समुद्री सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने की बात कही।