दिल के रोग के लिए हमारी बदल रही कार्यशैली और खाने पीने का मुख्य कारण पश्चिमी सभ्यता है, क्योंकि भारतीय लोग खाने पीने-पहनने में नकल करने की कोशिश करते हैं जिस कारण वह अपने शरीर को बहुत सारी बीमारियों में जकड़ लेते हैं। इन बातों का प्रगटावा सिवल सर्जन डा. लाल चंद ठकराल ने आज विश्व दिल दिवस और बुज़ुर्ग दिवस के मौके सिवल अस्पताल में आयोजित किये एक समागम के दौरान किया।इस मौके पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि मुख्य तौर पर तम्बाकू और शराब का सेवन से मोटापा, शुगर रोग, मानसिक तनाव और ज़्यादा ब्लड प्रेशर आदि दिल के रोग इन्ही से पैदा होते हैं। जिस तरह रोगी को अचानक दिल का दौरा पड़ता है तो उसकी छाती के बीच दर्द होता है, साँस लेने में दिक्कत आती है, पसीना आने लगता है। ऐसे मूलभूत लक्षणों की सूरत में हमें नज़दीक के किसी योग्यता प्राप्त डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यदि डाक्टर उस हालत में हमें एक या दो गोलियाँ पके तौर पर खाने की सलाह देता है तो हमें डाक्टर की सलाह को अनदेखा नहीं करना चाहिए।उन्होंने बताया कि शरीर को दिल की बीमारियाँ से बचाने के लिए हमें अपने खाने-पीने के तौर तरीके को बिल्कुल ही सादा कर देना चाहिए।
फास्ट फूड, शराब, और अन्य चिकनयी वाले भोजन से परहेज़ करना चाहिए। अपना शरीरिक भार कंट्रोल में रखना चाहिए। 40 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को नमकीन और मीठे का सेवन कम कर देना चाहिए।सीनियर सिटिजन दिवस संबंधी बोलते हुए सीनियर मैडीकल अफ़सर जगपालइन्दर सिंह ने कहा कि हमें बुज़ुर्गों को जनतक स्थानों पर पूरा सत्कार देना चाहिए। बुज़ुर्गों के लिए हमें घरों में पौष्टिक और नरम ख़ुराक का ख़ास ध्यान रखना चाहिए। परिवार में खाना खाते समय सबसे पहले हमें खाना बुज़ुर्गों को परोसना चाहिए। घर में माताओं को चाहिए कि अपने बच्चे को बुज़ुर्गों के प्रति अच्छे संस्कार दें जिससे बुज़ुर्गों का घर में मान-सम्मान बना रहे। उन्होंने कहा पंजाब सरकार की तरफ से दी हिदायतों के अनुसार सिवल अस्पताल में सीनियर सिटिजन के लिए अलग से खिडक़ी का प्रबंध किया गया है। यदि फिर भी किसी बुज़ुर्ग को परेशानी आती है तो उनके साथ सीधा संपर्क कर सकते हैं।इस मौके पर जि़ला सेहत अफ़सर डा. मनोहर लाल, जि़ला प्रोग्राम मैनेजर श्री अवतार सिंह, श्री तेजिन्दरपाल शर्मा, कुलदीप सिंह, रोजलीन नर्सिंग सिस्टर, और सुखमिन्दर सिंह जि़ला मास मीडिया अफ़सर मौजूद थे।