हिमाचल स्कूल प्रवक्ता संघ के प्रधान नरोत्त्म ठाकुर, महासचिव राजेंद्र ठाकुर, बोर्ड कमेटी के अध्यक्ष विश्वनाथ मलकोटिया , राज कुमार उप.प्रधान साबिर मोहोमद, मुख्य हैड क़्वार्टर सचिव संजय देष्टा,मुख्य संगठन सचिव पंकज कुमार ब शी, प्रेस सचिव राम गोपाल, सदस्य लक्ष्मण ठाकुर, सदस्य परम देव, वेब सचिव नरेश ठाकुर, लक्ष्मण ठाकुर, सुरेंद्र शर्मा, परम देव ने सयुंक्त बयान में कहा कि कईं सालों से बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान मिलने वाले मानदेय में कोई बढोत्तरी नहीं हुई हैं । हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड से मांग करता है कि बोर्ड की परीक्षा में
1. केंद्र अधीक्षक का मानदेय 200 रुपये प्रति सत्र, उप. केंद्र अधीक्षक का मानदेय 150 रुपये प्रति सत्र तथा सुपरवाईजर का मानदेय 125 रुपये प्रति सत्र किया जाये।
2. पेपर मूल्यांकन के छह रुपये की बजाय 15 रुपये प्रति आंसरशीट किया जाये।
3. मुल्यांकन कार्य के दौरान अध्यापक की रिफ्रेशमेंट 6 रुपये 20 रुपये किया जाये।
4. पेपर सेट करने के लिये मानदेय सात हजार रुपये करने की मांग की।
5. हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ ने सरकार से मांग उठाई है कि बोर्ड की परीक्षाओं में प्रधानाचार्यो की जि मेदारी को सुनिश्चित किया जाए।
6. बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा में अवार्ड लिस्ट पर प्रधानाचार्यो के काउंटर साइन न करवाए जाएं।इससे अंकों की सिक्रेसी का कोई मतलब नहीं रह जाता।
7. सर्दियों के स्कूलों में बोर्ड की परीक्षाएं दिसंबर में ली जाएं।
8. परीक्षाओं के लिए लाइंग स्कवायड में सेवानिवृत्त अधिकारियों की ड्यूटी न लगाई जाए।
9. परीक्षाओं का मूल्यांकन कार्य निजी स्कूलों से न करवाया जाए।
10. परीक्षा फार्म को सत्यापित करने की शक्ति प्रधानाचार्यो के साथ प्रवक्ताओं को भी दी जाए।
11. संघ ने ड्यूटी के दौरान दिए जाने वाले मानदेय को भी बढ़ाने की मांग उठाई।
12. बैठक में प्रस्ताव पारित किया कि बोर्ड की परीक्षाओं में अनुबंधित और पैरा टीचरों की भी ड्यूटी लगाई जाए।
13. जमा एक कक्षा की परीक्षा भी बोर्ड द्वारा ही ली जाए।
14. किसी भी अध्यापक की जबर्दस्ती बोर्ड के डयुटी थोप्पी ना जायें।
15. निजि पाठशालाओं के अध्यापकों से मुल्यांकन ना करवाया जायें।
16. अध्यापकों को बोर्ड की ड्यूटी के लिये अभी तक जिले के भीतर ही भेजा जाता है। हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड से मांग करता है कि अगर कोई अध्यापक अपने कार्य जिला से बाहर किसी दूसरे जिले में ड्युटी देना चाहता है तो उसे डयुटी से रोका ना जायें। मानदेय कम होने की वजह से कोई भी अध्यापक बोर्ड के कार्यों में रूचि नहीं लेता अगर मानदेय अच्छा हो तो कोई भी अध्यापक बोर्ड के कार्यों को पूरा करने के लिये स्वेच्छा से तैयार हो जायेगा और बोर्ड को जबर्दस्ती डयुटी लगाने की भी जरूरत नहीं पडेगी । अगर बोर्ड इन मांगो को नही मानता तो इस वर्ष बोर्ड की परीक्षाओं मे शामिल होने या ना होने पर विचार किया
जायेगा।