मणिपुर में चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण शुक्रवार को प्रदेशभर के सरकारी कार्यालयों में कामकाज बंद रहा। इस हड़ताल का आवाह्न संयुक्त रूप से अखिल मणिपुर व्यापार संघ परिषद और अखिल मणिपुर राजकीय कर्मचारी संगठन ने यह हड़ताल सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू न किए जाने के विरोध में किया है। सातवें वेतन आयोग की जद में एक लाख से ज्यादा कर्मी तथा 30,000 से ज्यादा पेंशनभोगी आते हैं।दो संगठनों को संभालने वाली संयुक्त प्रशासनिक परिषद के महासचिव बिकेन लैतोंजाम ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित 19 राज्यों में मणिपुर ही ऐसा राज्य है, जहां सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं की गई हैं।उन्होंने कहा, "केंद्र ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें सबसे बाद में त्रिपुरा में लागू की थीं।"लैतोंजाम ने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. विरेन सिंह ने मात्र मौखिक आश्वासन दिया है।राज्य के उप मुख्यमंत्री तथा प्रभारी वित्त मंत्री वाई. जोयकुमार ने कहा, "सातवां वेतन लागू करने की कोई तत्कालिक योजना नहीं है। वेतन वृद्धि से कोष पर 1,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।"कर्मचारी कार्यालय तो आए, लेकिन हड़ताल के कारण उन्होंने काम नहीं किया।